राजस्थान में दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा का लोकार्पण आज, नाथद्वारा में नए शिवलोक की ये है विशेषताएं

दुनिया की सबसे ऊंची शिव मूर्ति की अपनी अनूठी विशेषता है, 369 फीट ऊंची यह मूर्ति दुनिया की एकमात्र मूर्ति होगी। जिसमें श्रद्धालुओं के लिए लिफ्ट, सीढ़ियां, हॉल बनाया गया है। मूर्ति के अंदर सबसे ऊपर जाने के लिए 4 लिफ्ट और तीन सीढ़ियां हैं। प्रतिमा के निर्माण में 10 साल लगे और 3000 टन स्टील और लोहे, 2.5 लाख क्यूबिक टन कंक्रीट और रेत का इस्तेमाल किया गया। प्रतिमा का निर्माण 250 वर्षों की स्थिरता को ध्यान में रखते हुए किया गया है।

राजस्थान में दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा का लोकार्पण आज, नाथद्वारा में नए शिवलोक की ये है विशेषताएं

विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा बन कर तैयार हो गई है। और शनिवार (29 अक्टूबर) को उसका लोकार्पण समारोह शुरू होने जा रहा है। राजस्थान के राजसमंद जिले के नाथद्वारा में बनी शिव प्रतिमा की ऊंचाई 369 मीटर है। जिसे विश्वास स्वरूपम नाम दिया गया है। प्रतिमा को बनाने में 10 साल का समय लगा है। और इसे दुनिया का टॉप-5 ऊंची प्रतिमाओं में स्थान मिला है। इसे संत कृपा सनातन संस्थान द्वारा तैयार किया गया है। लोकार्पण समारोह 29 अक्टूबर से शुरू होकर 6 नवंबर तक चलेगा। और इसकी शुरूआत मुरारी बापू की राम कथा से होगी।

नाथद्वारा की गणेश टेकरी पर बनी यह प्रतिमा 51 बीघा की पहाड़ी पर बनी है। इस प्रतिमा में भगवान शिव ध्यान एवं अल्लड़ की मुद्रा में विराजित हैं। प्रतिमा की ऊंचाई इतनी है कि जो कई किलोमीटर दूर से ही नजर आने लग जाती हैं। रात में भी यह प्रतिमा स्पष्ट रूप से दिखाई दे, इसके लिए विशेष लाइट्स की व्यवस्था भी की गई है।

369 फीट ऊंची इस प्रतिमा के विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा बनने की कहानी भी दिलचस्प है। रिपोर्ट के अनुसार, जब साल 2012 में इस प्रतिमा को बनाने का प्लान तैयार हुआ तो इसकी ऊंचाई 251 फीट रखने की योजना बनाई गई। लेकिन बाद में निर्माण के दौरान इसकी ऊंचाई 351 फीट तक पहुंच गई। इसके बाद शिव की जटा में गंगा की जलधारा लगाने की योजना बनाई गई, तो इसकी ऊंचाई 369 फीट तक पहुंच गई।

इस प्रतिमा में लिफ्ट, सीढ़ियां, हॉल आदि भी बनाए गए हैं। निर्माण कै दौरान 3000 टन स्टील और लोहा, 2.5 लाख क्यूबिक टन कंक्रीट और रेत का इस्तेमाल हुआ है। 250 किमी रफ्तार से चलने वाली हवाएं भी मूर्ति को प्रभावित नहीं करेगी। स्टैच्यू ऑफ बिलीफ' की कल्पना मिराज ग्रुप, उदयपुर के चेयरमैन श्री मदन पालीवाल ने की थी। इस अवधारणा को आगे स्टूडियो माटुराम आर्ट द्वारा विकसित किया गया था जिसने 351 फीट ऊंची मूर्ति को डिजाइन किया था, जबकि संरचनात्मक डिजाइन स्केलेटन कंसल्टेंट्स द्वारा प्रदान किया गया था और काम साल 2016 की शुरुआत में शुरू हुआ था।

महादेव के इस महा महोत्सव में 9 दिनों तक धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होंगे-

369 फीट की यह प्रतिमा रात में भी साफ दिखाई देती है, इसलिए इसे खास रोशनी से सजाया गया है।

मुरारी बापू की 9 दिनों तक चलने वाली रामकथा इस त्योहार को और बढ़ा देगी और दुनिया भर से लाखों श्रोता इसे देख सकेंगे। इस लॉन्च फेस्टिवल में मुरारी बापू की रामकथा सोने की तरह होगी।

इसके लिए दीपावली पर्व से ही बिजली की सजावट और शहर का बेहतरीन नजारा देखने को मिलेगा।

इस भव्य आयोजन को लेकर हर दिन करीब 50 से 60 हजार श्रद्धालु मुरारी बापू को सुनने के लिए जुटेंगे. बापू के व्यासपीठ का नजारा भी आकर्षण का केंद्र रहेगा।

51 बीघा की पहाड़ी पर बनी यह मूर्ति भगवान शिव ध्यान और अलाद की मुद्रा में विराजमान हैं, जो 20 किलोमीटर दूर से दिखाई देते हैं।

यहां रोजाना लाखों लोग प्रसाद ग्रहण करेंगे।

डेढ़ लाख वर्ग फुट पंडाल

यह महोत्सव महाकुंभ से कम नहीं होगा। श्रीनाथ जी की पावन भूमि पर भक्तों की भीड़ उमड़ेगी, ऐसे में तैयारी जोरों पर चल रही है. आयोजन के लिए करीब डेढ़ लाख वर्ग फुट का पंडाल बनाया जा रहा है और करीब 2 लाख वर्ग फुट में एक फूड हॉल का पंडाल बनाया गया है। जिसमें दर्शकों को कहानी सुनने और खाने का प्रसाद लाने में अच्छा अनुभुति होगा।

दुनिया की सबसे ऊंची शिव मूर्ति की विशेषताएं और सुविधाएं-

दुनिया की सबसे ऊंची शिव मूर्ति की अपनी अनूठी विशेषता है, 369 फीट ऊंची यह मूर्ति दुनिया की एकमात्र मूर्ति होगी। जिसमें श्रद्धालुओं के लिए लिफ्ट, सीढ़ियां, हॉल बनाया गया है। मूर्ति के अंदर सबसे ऊपर जाने के लिए 4 लिफ्ट और तीन सीढ़ियां हैं। प्रतिमा के निर्माण में 10 साल लगे और 3000 टन स्टील और लोहे, 2.5 लाख क्यूबिक टन कंक्रीट और रेत का इस्तेमाल किया गया। प्रतिमा का निर्माण 250 वर्षों की स्थिरता को ध्यान में रखते हुए किया गया है।

विश्वास स्वरूपम लोकार्पण महोत्सव में कैसे पहुंचें

नाथद्वारा उदयपुर से 40 किमी दूर है और यह स्थान रोडवेज और भारतीय रेलवे से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जिससे श्रद्धालु आसानी से यहां पहुंच सकें।