यूपी विधानसभा के बदले नियम, अध्यक्ष को नहीं दिखा सकेंगे पीठ, झंडा- बैनर, मोबाइल नहीं ले जा सकेंगे सदस्य

उप्र. विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली-2023 में ई-विधान के तहत सदन की कार्यवाही को अधिक से अधिक ऑनलाइन करने का प्रावधान किया गया है।

यूपी विधानसभा के बदले नियम, अध्यक्ष को नहीं दिखा सकेंगे पीठ, झंडा- बैनर, मोबाइल नहीं ले जा सकेंगे सदस्य

उत्तर प्रदेश विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली-2023 में ई-विधान के तहत सदन की कार्यवाही को अधिक से अधिक ऑनलाइन करने का प्रावधान किया गया है। नियमावली का प्रतिवेदन सोमवार को विधानसभा में पेश किया गया। मंगलवार तक इस पर विधायक संशोधन प्रस्ताव दे सकेंगे। 

बुधवार को नियमावली पर सदन में चर्चा कर मंजूरी दिलाने की योजना है। मंजूरी के बाद विधानसभा का शीतकालीन सत्र नई नियमावली के तहत संचालित होगा। विधायकों के सवालों के जवाब सहित अन्य सूचनाएं संबंधित विभाग से ऑनलाइन ली जा सकेंगी और ऑनलाइन ही विधायकों को दी जाएंगी।

नियमावली में सदन में विधायकों के आचरण व व्यवहार तय किए गए हैं। प्रावधान है कि विधायक सदन में किसी दस्तावेज को फाड़ नहीं सकेंगे। भाषण करते समय दीर्घा में किसी अजनबी की ओर संकेत नहीं करेंगे। न ही उसकी प्रशंसा कर सकेंगे। विधायक अध्यक्ष की ओर पीठ करके न तो खड़े हो सकेंगे और न ही बैठ सकेंगे। 

सदन में न शस्त्र ला सकेंगे न ही प्रदर्शित कर सकेंगे। ऐसे किसी भी साहित्य, प्रश्नावली, पुस्तिका, प्रेस टिप्पणी, पर्चों का वितरण नहीं कर सकेंगे जो सदन से संबंधित न हों। धूम्रपान नहीं कर सकेंगे। लॉबी में इतनी तेज आवाज न तो बात करेंगे न ही हंसेंगे, जो सदन में सुनाई दे।

विधानसभा का सत्र अब सात दिन के नोटिस पर आहूत हो सकेगा। वर्तमान में 15 दिन के नोटिस पर यह व्यवस्था है। शासन की ओर से विधानसभा सचिवालय को सत्र आहूत करने की तिथि से सात दिन पहले सूचना देनी होगी। 

विधानसभा के प्रमुख सचिव की ओर से प्रत्येक दिन के कार्य की सूची बनाकर उसकी एक प्रति विधायकों को ऑनलाइन या ऑफलाइन उपलब्ध करानी होगी। विधानसभा अध्यक्ष, नेता सदन या सदन की अनुमति से कार्य के क्रम में परिवर्तन कर सकेंगे। विधायकों को ईमेल व मोबाइल संदेश के जरिये भी सत्र आहूत होने की सूचना दी जाएगी।

विधायक उच्च प्राधिकार प्राप्त व्यक्तियों के आचरण पर तब तक आरोप नहीं लगा सकेंगे जब तक कि चर्चा उचित रूप से रखे गए मूल प्रस्ताव पर आधारित न हो। सदस्य अपने भाषण के अधिकार का उपयोग सभा के कार्य में बाधा डालने के लिए नहीं कर सकेंगे। 

सरकारी अधिकारियों के नाम को लेकर कोई उल्लेख नहीं करेंगे। वाद-विवाद पर प्रभाव डालने के उद्देश्य से राज्य के नाम का उपयोग नहीं करेंगे। अध्यक्ष या पीठ की अनुमति के बिना लिखित भाषण नहीं पढ़ सकेंगे। किसी भी दीर्घा में बैठे अजनबी के लिए निर्देश नहीं दे सकेंगे।

नियमानुसार विधानसभा की नई नियमावली पर सदन में 14 दिन चर्चा होनी चाहिए। लेकिन सत्र केवल पांच दिन का होने के कारण नियमावली पर शुक्रवार तक ही चर्चा हो सकेगी।

नियमावली में विशेषाधिकार हनन के मामलों में भर्त्सना व जुर्माने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को देना प्रस्तावित है। विधानसभा के प्रश्नों का जवाब नहीं देने या आदेश का उल्लंघन करने पर अधिकारियों, कर्मचारियों या अन्य व्यक्ति की अध्यक्ष भर्त्सना कर सकेंगे या उन पर जुर्माना भी लगा सकेंगे। 

किसी अधिकारी या कर्मचारी की भर्त्सना करने या उन पर जुर्माना लगाने से उनकी वेतनवृद्धि और पदोन्नति प्रभावित होगी।

विधानसभा में अब किसी भी तारांकित प्रश्न पर दो पूरक प्रश्न ही पूछे जा सकेंगे। पूरक प्रश्न पूछने में पहली प्राथमिकता मूल प्रश्नकर्ता विधायक को मिलेगी। यदि प्रश्नकर्ता एक से अधिक हैं तो दूसरी प्राथमिकता दूसरे प्रश्नकर्ता को मिलेगी।

विधायक को अपने प्रश्न सत्र शुरू होने से तीन दिन पहले लिखित या ऑनलाइन विधानसभा के प्रमुख सचिव के समक्ष देना होगा। सचिव को उन पर 24 घंटे के भीतर अध्यक्ष की अनुमति प्राप्त करनी होगी। अतारांकित प्रश्नों के उत्तर उसी दिन सदन के पटल पर रखे जाएंगे।

जनता हित से जुड़े विषयों पर सदन का ध्यान आकर्षित करने के लिए सदस्यों को सदन की कार्यवाही शुरू होने से एक घंटे पहले ऑनलाइन या ऑफलाइन सूचना दो प्रति में विधानसभा के प्रमुख सचिव को देनी होगी।

ध्यान आकर्षण से संबंधित सूचना शासन की ओर से अधिकतम 30 दिन में संबंधित सदस्य या विधानसभा सचिवालय में पेश करनी होगी।