आखिर हो गया देश के सबसे पुराने मुकदमे का निपटारा, कलकत्ता हाईकोर्ट ने 72 साल बाद दिया फैसला

कलकत्ता हाईकोर्ट में देश के सबसे पुराने मुकदमों में से एक को आखिरकार 72 साल के बाद निपटा लिया गया। इसमें सबसे दिलचस्प बात यह रही कि कलकत्ता हाईकोर्ट के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव का जन्म 1951 में इस मामले के दर्ज होने के पूरे एक दशक बाद हुआ था।

आखिर हो गया देश के सबसे पुराने मुकदमे का निपटारा, कलकत्ता हाईकोर्ट ने 72 साल बाद दिया फैसला

बीते वर्ष 2022 के आखिरी दिन देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ ने आंध्र प्रदेश में कहा था- देश के ज्यूडिशियल सिस्टम को तारीख पे तारीख वाली छवि बदलने की जरूरत है। CJI के इस कमेंट की वजह है- देश की अदालतों में करोड़ों पेंडिंग केस। 

कलकत्ता हाईकोर्ट में देश के सबसे पुराने मुकदमों में से एक को आखिरकार 72 साल के बाद निपटा लिया गया। इसमें सबसे दिलचस्प बात यह रही कि कलकत्ता हाईकोर्ट के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव का जन्म 1951 में इस मामले के दर्ज होने के पूरे एक दशक बाद हुआ था। फिलहाल कलकत्ता उच्च न्यायालय को इस बात से राहत मिलेगी कि पूर्ववर्ती बेरहामपुर बैंक लिमिटेड को बंद करने की कार्यवाही से संबंधित मुकदमेबाजी अंतत: समाप्त हो गई है।

इस मामले से निपटने के बाद अब पांच सबसे पुराने लंबित मामलों में से तीन से निपटना बाकी है। बचे हुए तीन मामलों में से दो दीवानी मुकदमे बंगाल के मालदा की सिविल कोर्ट में चल रहे हैं और एक मद्रास हाई कोर्ट में लंबित है। मालदा की कोर्ट ने इन मामलों को सुलझाने के लिए आखिरी सुनवाई मार्च और नवंबर में की थी। 

बेरहामपुर केस भारतीय कोर्ट में सुना जाने वाला सबसे पुराना मामला है। मामले में 19 नवंबर 1948 को कलकत्ता हाईकोर्ट ने तत्कालीन दिवालिया और मुकदमेबाजी से घिरे बेरहामपुर बैंक को बंद करने का आदेश था। इस मामले में लिक्विडेशन की कार्यवाही को चुनौती देने वाली एक याचिका 1 जनवरी, 1951 को दायर की गई थी और उसी दिन मामला संख्या 71/1951 के रूप में दर्ज किया गया था। 

बेरहामपुर बैंक देनदारों से पैसा वसूल करने के लिए कई मुकदमों में उलझा हुआ था. इनमें से कई कर्जदारों ने बैंक के दावों को चुनौती देते हुए कोर्ट का रुख किया। बैंक के लिक्विडेशन को चुनौती देने वाली याचिका पिछले साल सितंबर में दो बार हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए आई थी, लेकिन कोई भी सामने नहीं आया। 

इसके बाद जस्टिस कपूर ने कोर्ट के लिक्विडेटर से रिपोर्ट मांगी। 19 सितंबर 2022 को असिस्टेंट लिक्विडेटर ने पीठ को बताया कि अगस्त 2006 में मामले का निपटारा कर दिया गया था। यह पता चला कि इसे रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया गया था और यह मामला पेंडिग लिस्ट में बना रहा। 

दूसरे सबसे पुराने मामलों में से एक को लेकर जस्टिस कपूर ने आखिरी बार 23 अगस्त 2022 को सुनवाई की थी। इस दौरान उन्होंने एक वकील और एक स्पेशल अधिकारी को सभी पक्षों से मिलने और पेंडिंग मामलों को समाप्त करने के तौर-तरीकों का सुझाव देने का निर्देश दिया था।