मंदिर-घरों में गूंजेंगे जयकारे, अभिजित मुहूर्त में करें कलश स्थापना, ये समय है श्रेष्ठ

ग्रीष्म ऋतु के आगमन की सूचना देता चैत्र नवरात्र मंगलवार को नौ अप्रैल से प्रारंभ हो रहा है।

मंदिर-घरों में गूंजेंगे जयकारे, अभिजित मुहूर्त में करें कलश स्थापना, ये समय है श्रेष्ठ

ग्रीष्म ऋतु के आगमन की सूचना देता चैत्र नवरात्र मंगलवार को नौ अप्रैल से प्रारंभ हो रहा है। नौ से 17 अप्रैल तक पूरे नौ दिन शक्ति की उपासना होगी। पूर्व संध्या पर मंदिरों में तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा था तो घरों में भी घट स्थापना के लिए साफ-सफाई, पूजन सामग्री व फलाहार आदि की खरीदारी देर शाम तक होती रही।

राजधानी में प्रमुख देवी मंदिरों में शास्त्रीनगर स्थित दुर्गा मंदिर, चौक स्थित छोटी व बड़ी काली जी मंदिर, संदोहन देवी मंदिर, संतोषी माता मंदिर, बीकेटी स्थित चंद्रिका देवी मंदिर, इटौंजा के मां पूर्वी देवी मंदिर समेत अन्य देवालयों में भी शक्ति पाठ होंगे। पूजन-शृंगार की तैयारी पूरी हो गई है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, अभिजित मुहूर्त में घट स्थापना उत्तम है। मान्यता के अनुसार, हर दिन का कुछ समय अति शुभ माना जाता है, इस समय कोई भी कार्य फलदायक होता है और यह सर्वोत्तम माना जाता है। ऐसा ही है अभिजित मुहूर्त।


प्रतिपदा पर अमृत योग होगा फलदायी
ज्योतिषाचार्यों के मुतबिक, तिथि-वार और नक्षत्र का उत्तम संयोग अमृत योग बना रहा है। इस दिन सुबह मीन राशि है और उसमे चंद्रमा है। वहीं मंगलवार को बजरगंबली की आराधना का दिन भी है। मंगलवार के दिन ही भारतीय नववर्ष की शुरुआत हो रही है। यह सभी देश काल के लिए शुभ फलदायी है। संवत्सर का प्रथम दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा सबसे महत्वपूर्ण और पुनीत दिवस है। इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। सनातनधर्मी इस दिन को महाउत्सव के रूप में मनाते हैं।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य पंडित धीरेन्द्र पांडेय, आनंद दुबे व एसएस नागपाल के मुताबिक, नवरात्र प्रतिपदा पर दो मुहूर्त हैं।

नवरात्र का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त : सुबह 11.24 से 12.36 के बीच अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना उत्तम फलदायी है।

मुहूर्त का एक-एक विकल्प : जो किसी कारण से अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना न कर सकें, वे दोपहर में 3.17 बजे के बाद से सूर्यास्त तक कर सकते हैं।

ब्रह्म मुहूर्त में स्थापना करना चाहें तो दो विकल्प
वैदिक ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष महामहोपाध्याय डॉ. आदित्य पांडेय के मुताबिक, जो लोग ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पूजन करना चाहें वे प्रातः काल सूर्योदय के पहले 4.31 बजे से 5.17 बजे के मध्य घट स्थापना कर सकते हैं। इसी के कुछ देर बाद 5.52 से 8..31 बजे तक का मुहूर्त भी शुभकारक है।

भोर से ही खुल जाएंगे कपाट, रात 10 बजे तक खुले रहेंगे
राजधानी देवी मंदिरों के कपाट भोर में चार बजे से खुल जाएंगे। बड़ी काली जी मंदिर के महंत स्वामी हंसानंद के मुताबिक, मंदिर नौ दिन तक अनवरत भोर में चार बजे से रात तक खुला रहेगा। भक्तों के लिए चाय आदि का भी इंतजाम किया जा रहा है। चंद्रिका देवी मंदिर में सुबह 6 बजे से रात 8 बजे की आरती तक खुला रहेगा। इसी तरह अन्य मंदिर भी सुबह 6 बजे से सात बजे के बीच खुल जाएंगे।

ज्वाला जी से ज्योत लेकर पहुंचे भक्त
दुर्गा जी मंदिर शास्त्रीनगर में नवरात्र उत्सव का श्रीगणेश सोमवार से हो गया। ज्वाला जी से ज्योत लेकर 16 भक्त सियालदह एक्सप्रेस से लखनऊ पहुंचे। मंदिर प्रबंधन के राजेन्द्र गोयल ने बताया कि एक बंद दीपदान में ज्योत लाई गई है। भक्तों के स्टेशन पहुंचने पर उनका स्वागत किया गया, फिर शोभायात्रा के बीच ज्योत को मंदिर में लाकर स्थापित किया गया। 18 अप्रैल को ज्योत का विसर्जन किया जाएगा। नौ दिन तक मंदिर के बाहर मेला लगेगा। दुकानें सज गई हैं, झूले लग गए हैं।

30 से 40 रुपये में नारियल, 1100 रुपये तक मखाना
इंदिरानगर, भूतनाथ, आलमबाग, निशातगंज, गोमतीनगर समेत शहर के प्रमुख बाजारों में पूजन सामग्री, फलाहार सामग्री की दुकानें सजी हुई हैं। मखाने की कीमत को छोड़कर अन्य सभी की कीमतों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। पानी वाला नारियल 30 से 40 रुपये में, फूल माला 10 रुपये से लेकर जितने रुपये तक ग्राहक लेना चाहे, फलाहार की सामग्री में सावा का चावल, कुट्टू का दलिया, कुट्टु व सिघंड़े का आटा, रामदाना आदि से दुकानें सजी हैं। मखाना अलग-अलग बाजारों में 1000 रुपये से 1100 रुपये की कीमत तक में है। केला कहीं 60 तो कहीं 70 रुपये दर्जन हैं।