मोहन भागवत बोले: भारत का स्व लौटा... सब हमारे हैं, कलह को देनी होगी विदाई, समन्वय से चलना होगा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि श्रीराम के अयोध्या से बाहर जाने के पीछे का कारण कलह था, वह वनवास में गए और पूरी दुनिया का कलह मिटाकर लौटे।

मोहन भागवत बोले: भारत का स्व लौटा... सब हमारे हैं, कलह को देनी होगी विदाई, समन्वय से चलना होगा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि श्रीराम के अयोध्या से बाहर जाने के पीछे का कारण कलह था, वह वनवास में गए और पूरी दुनिया का कलह मिटाकर लौटे। रामलला के इस युग में फिर लौट आने का जो भी दर्शन, श्रवण कर रहा है, उसका कल्याण निश्चित है। उन्होंने कहा, हमें भी कलह को विदाई देनी होगी। छोटे-छोटे मनमुटाव रहते हैं। 

छोटे-छोटे विवाद चलते हैं। उन्हें लेकर लड़ाई करने की आदत छोड़नी होगी। हमें समन्वय से चलना होगा। हम सबके लिए चलते हैं और सब हमारे हैं।
संघ प्रमुख ने कहा, दैहिक दैविक भौतिक तापा, राम राज काहु नहीं व्यापा...सब नर करहिं परस्पर प्रीति, चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती...रामराज्य के सामान्य नागरिकों का यह वर्णन है। 

यह हमारे व्यवहार से साकार हो सकता है। संयमित व्यवहार की तपस्या हम सबको करनी होगी। हमें क्लेश-कलह नहीं, बल्कि उच्च आचरण से देश की तरक्की में योगदान देना होगा। हमें अपने को संयम में रखना होगा। भागवत ने कहा कि श्रीराम मंदिर का निर्माण राष्ट्रीय गौरव के पुनर्जागरण का प्रतीक है। यह आधुनिक भारतीय समाज की ओर से भारत के आचरण की मर्यादा की जीवनदृष्टि की स्वीकृति है। 


500 वर्षों तक अनेक पीढ़ियों ने लगकर, परिश्रम कर, बलिदान देकर यह आनंद और गौरव का दिन उपलब्ध कराया है। उन सबके प्रति कृतज्ञता का दिन है। उन्होंने कहा कि आज का आनंद शब्दों में वर्णन करना मुश्किल है। आज अयोध्या में रामलला के साथ भारत का स्व लौट आया है। संपूर्ण विश्व को त्रासदी से राहत देने वाला एक नया भारत उठ खड़ा होगा, इसका यह प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम साक्षी बन रहा है। सब में आनंद है, सब में उमंग है 

भागवत ने कहा कि रामराज्य के नागरिक निरदंभ, प्रामाणिकता से व्यवहार करने वाले थे। धर्मरत थे। श्रीमद्भागवत में धर्म के चार मूल बताए गए हैं। सत्य, करुणा, शुचिता व तपस। इसका युग के अनुकूल आचरण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यक्ति प्रयास तो करेंगे ही, सामूहिक प्रयास करने होंगे।

भागवत बोले-तपस्वी हैं मोदी, स्वामी गिरि ने कहा-छत्रपति शिवाजी जैसा तप
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस प्राण प्रतिष्ठा में पधारने से पहले आपने कठोर तप किया। जितना कठोर व्रत रखने के लिए कहा था, उससे कई गुना अधिक कठोर व्रत किया। भागवत ने कहा, मेरा उनसे पुराना परिचय है, मैं जानता हूं कि वह बड़े तपस्वी हैं ही। पर वह अकेले तप कर रहे हैं। अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम भी देश के लिए तपस्या करें।

वहीं, स्वामी गोविंद देव गिरि ने पीएम मोदी को  राजर्षि तथा समय, युग व सनातन के अंत:करण की आवश्यकता बताया। गिरि ने कहा, अनेक कारण मिलते-मिलते विशिष्ट स्तर पर पहुंच पाते हैं। इस स्तर पर कोई एक महापुरुष उपलब्ध होता है। उस विभूति के कारण युग परिवर्तित हो जाता है।

 ऐसा परिवर्तन लाने के लिए जीवन को साधना पड़ता है। हमारे देश की परंपरा में आज के समय, युग व सनातन के अंत:करण की आवश्यकता के अनुरूप ऐसा जीवन साधने वाला प्रधानमंत्री प्राप्त हुआ है। यह केवल देश का नहीं, संपूर्ण विश्व का सौभाग्य है कि आज ऐसा राजर्षि हमें मिला है। उन्होंने कहा, मेरी नजर में ऐसा एक ही तपस्वी शासक हुआ है-छत्रपति शिवाजी। वैसा ही तप आपने किया।

पीएम मोदी यजमान होने की वजह से 11 दिनों से कठोर व्रत कर रहे थे। इस पर गिरि ने खुलासा किया, प्रधानमंत्री ने मन, वचन व कर्म से अपने को शुद्ध व सिद्ध बनाने का संकल्प लिया। पीएम को बीस दिन पहले महापुरुषों से परामर्श कर सिर्फ तीन दिन के उपवास के लिए कहा गया, पर उन्होंने पूरे 11 दिन का संपूर्ण उपवास किया। अन्न का त्याग किया। 

गिरि ने कहा, कड़कड़ाती ठंड में भूमि पर सोए। ऐसा तपस्वी राष्ट्रीय नेता मिलना सामान्य बात नहीं है। हम लोगों ने विदेश प्रवास से मना किया। वजह, सांस्कृतिक दोष भी आते हैं। उन्होंने विदेश प्रवास टाल दिया, लेकिन नासिक से रामेश्वरम तक की देशभर में यात्रा कर वहां के दिव्य आत्माओं को राष्ट्र को महान बनाने का आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित किया। 

देश की अस्मिता व स्वाभिमान की प्रतिष्ठा 
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरि ने प्राण प्रतिष्ठा के बाद कहा कि यहां सिर्फ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा नहीं हुई है। बल्कि, भारत के आत्मसम्मान, आत्मविश्वास और प्रतिष्ठा की पुनर्स्थापना भी हुई है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस परियोजना के साथ गहरा आध्यात्मिक संबंध रहा है। 500 वर्षों की प्रतीक्षा के बाद यह दिन आया है।

उपहार में दीप, माला, रामनाम के पटके
समारोह में मेहमानों को ट्रस्ट ने उपहार के तौर पर धातु के बने दीप, तुलसी की माला, रामनाम के पटके और अयोध्या धाम : द लॉर्ड एडोब पुस्तकें भेंट की। उपहारों के थैले पर राममंदिर और प्रतिमा अंकित है। सभी मेहमानों को प्रसाद भी दिया गया।