Karwa Chauth Special: चांद और पति का चेहरा छलनी से क्यों देखते है छलनी दीपक का रहस्य महत्व और पौराणिक कथा

करवा चौथ पूजा में प्रयोग होनेवाली हर चीज का अपना एक अलग महत्व है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह व्रत तब तक पूरा नहीं माना जाता है जब तक पत्नी छलनी से चांद और अपने पति का चेहरा ना देख लें। करवा चौथ की पूजा में छलनी का काफी ज्यादा महत्व माना जाता है। महिलाएं करवा चौथ पर पूजा की थाली सजाती हैं और इसके साथ-साथ छलनी को भी कई तरह से सजाती हैं। फिर पूजा के बाद महिलाएं इसी छलनी से पति का चेहरा देखकर अपना करवा चौथ का व्रत पूरा करती हैं।

Karwa Chauth Special: चांद और पति का चेहरा छलनी से क्यों देखते है छलनी दीपक का रहस्य महत्व और पौराणिक कथा

करवा चौथ की पूजा में छलनी का काफी ज्यादा महत्व माना जाता है। महिलाएं करवा चौथ पर पूजा की थाली सजाती हैं और इसके साथ-साथ छलनी को भी कई तरह से सजाती हैं। फिर पूजा के बाद महिलाएं इसी छलनी से पति का चेहरा देखकर अपना करवा चौथ का व्रत पूरा करती हैं।

कई स्थानों पर महिलाएं छलनी में दीपक रखकर चांद को देखने के बाद अपने पति का चेहरा देखती हैं। जिसके बाद पति उन्हें अपने हाथों से पानी भी पिलाता है और फिर यह व्रत पूर्ण होता है। पूजा की थाली में छलनी को विशेष स्थान दिया जाता है। कई जगहों पर छलनी से चांद को देखकर व्रत खोलने की परंपरा है। इसलिए छलनी का बहुत महत्व माना जाता है।

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भारतीय महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखेंगी। इस व्रत की पूजा काफी सतर्कता के साथ की जाती है। सुहागिन महिलाएं चांद को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं। इस पूजा में प्रयोग होनेवाली हर चीज का अपना एक अलग महत्व है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह व्रत तब तक पूरा नहीं माना जाता है जब तक पत्नी छलनी से चांद और अपने पति का चेहरा ना देख लें।

आपको बता दें कि करवा चौथ में छलनी का प्रयोग किए जाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। एक पतिव्रता और अति सुन्दर स्त्री का नाम वीरवती था उसके सात भाई थे। जिस साल वीरवती का विवाह हुआ उसी साल उसने करवा चौथ का व्रत रखा। लेकिन भूख के कारण उसकी तबीयत खराब होने लगी। 

भाईयों से बहन की यह स्थिति देखी नहीं जा रही थी। इसलिए चांद निकलने से पहले ही एक पेड़ पर बैठकर उसके भाई ने छलनी के पीछे दीपक रखकर बहन से कहने लगे कि देखो चांद निकल आया है और वीरवती ने उस छलनी के पीछे वाले दीपक को ही चांद समझकर करवा चौथ का व्रत खोल दिया। ऐसा करने के बाद वीरवती के पति की मृत्यु हो गई।

जब वीरवती को यह पता चला कि उसने दीपक को चांद समझने की गलती की थी जिसकी वजह से उसके पति की मृत्यु हो गई। इसके बाद वीरवती बहुत दुखी हो गई। वीरवती ने अपने पति के मृत शरीर को सुरक्षित अपने पास रखा और अगले वर्ष फिर से करवा चौथ के दिन नियम पूर्वक व्रत किया जिससे करवा माता प्रसन्न हुई और उसके पति को फिर से जीवित कर दिया।

इस कारण की वजह से ही शादीशुदा महिलाएं स्वयं छलनी अपने हाथ में रखकर उगते हुए चांद को देखती हैं ताकि उनसे कोई किसी प्रकार का छल न कर सकें और पूरे विधि-विधान के साथ करवाचौथ का व्रत संपन्न हो सकें।

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छलनी दीपक का रहस्य

शास्त्रों के अनुसार अग्नि पृथ्वी पर सूर्य का बदला हुआ रूप है। मान्यता है कि अग्निदेव को साक्षी मानकर उसकी मौजूदगी में की गई पूजा अवश्य सफल होती है। प्रकाश ज्ञान का प्रतीक भी है, 'ईश्वर' प्रकाश और ज्ञान -रूप में ही हर जगह व्याप्त हैं। ज्ञान प्राप्त होने से अज्ञान रूपी मनोविकार दूर होते हैं, जीवन के कष्ट मिटते हैं। दीपक जलाने से नकारात्मकता दूर होती है, एवं पूजा में ध्यान केंद्रित होता है जिससे एकाग्रता बढ़ती है।

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