ज्ञानवापी के व्यास तहखाने मामले में इलाहाबाद HC में चल रही सुनवाई पूरी, जज ने रिजर्व किया फैसला

ज्ञानवापी के व्यास तहखाने (Gyanvapi Vyas Basement) में इलाहाबाद हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई पूरी हो गई है। इसके बाद कोर्ट ने अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया है। अब कोर्ट ने दोनों पक्षों को 4 बजे चेंबर में बुलाया है।

ज्ञानवापी के व्यास तहखाने मामले में इलाहाबाद HC में चल रही सुनवाई पूरी, जज ने रिजर्व किया फैसला

ज्ञानवापी के व्यास तहखाने (Gyanvapi Vyas Basement) में इलाहाबाद हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई पूरी हो गई है। इसके बाद कोर्ट ने अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया है। अब कोर्ट ने दोनों पक्षों को 4 बजे चेंबर में बुलाया है। आज ही इस मामले में कोर्ट का फैसला आ सकता है। हाई कोर्ट में जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। मुस्लिम पक्ष की तरफ से तहखाने में हो रही पूजा को रोकने के लिए दाखिल याचिका पर यह सुनवाई हुई है।

हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट सी एस वैद्यनाथन और विष्णु शंकर जैन ने बहस की। जबकि मुस्लिम पक्ष की ओर से सीनियर एडवोकेट सैयद फरमान अहमद नकवी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने बहस की। मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने व्यास जी तहखाने में पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने के जिला जज वाराणसी के वाराणसी के फैसले को चुनौती दी थी।

हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने बहस में कहा कि ज्ञानवापी के दाहिने हिस्से में तहखाना स्थित है, जहां पर हिंदू वर्ष 1993 तक पूजा कर रहे थे। ऑर्डर 40 रूल 1 सीपीसी के तहत वाराणसी कोर्ट ने डीएम को रिसीवर नियुक्त किया। यह फैसला किसी तरह से मुस्लिमों के अधिकारों को प्रभावित नहीं करता है, क्योंकि मुसलमान कभी तहखाने में नमाज नहीं पढ़ता है। कोर्ट ने जब वाराणसी डीएम को रिसीवर नियुक्त किया तो उन्होंने कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया।

वहीं मुस्लिम पक्ष के वकील नकवी ने दलील दी की जिला जज के आदेश में बड़ी खामी है। उन्हें अपने विवेक का प्रयोग करना चाहिए था। जब प्रतिवादी नंबर दो यानी ट्रस्ट को अलग से नियंत्रित करने वाला कानून है, तो उन्हें यह मानना चाहिए था कि डीएम ट्रस्टी बोर्ड का एक हिस्सा हैं। वह कुछ चीजों को सुविधाजनक बनाना चाहते थे इसलिए उन्होंने ऐसा आदेश पारित किया।