पंचक काल के साए में मनाई जाएगी पापमोचनी एकादशी, जानें पूजा का विधान और नियम

हिन्दू धर्म में चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की 11वी तिथि को हर साल पापमोचनी एकादशी व्रत किया जाता है

पंचक काल के साए में मनाई जाएगी पापमोचनी एकादशी, जानें पूजा का विधान और नियम

हिन्दू धर्म में चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की 11वी तिथि को हर साल पापमोचनी एकादशी व्रत किया जाता है. इस दिन जो भक्त व्रत रखता है. भगवान विष्णु उनकी मनोकामना जल्दी ही पूरी कर देते हैं और जीवन में आने वाली परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है.

हिन्दू धर्म में चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की 11वी तिथि को पापमोचनी एकादशी पर्व हर साल मनाया जाता है. पापमोचनी एकादशी के पर्व पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है. पापमोचनी एकादशी पर विष्णु जी की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और घर में धन की कभी भी कम नहीं रहती है. इस बार पापमोचनी एकादशी पर पंचक का साया मंडरा रहा है. हिन्दू धर्म में पंचक काल को अशुभ माना गया है. ऐसे में इस एकादशी पर कब पूजा करें, क्या है नियम. 

पापमोचनी एकादशी का पर्व इस साल 2024 में 5 अप्रैल को पड़ रहा है. और इसी दिन से पंचक काल की शुरुआत हो रही है. 5 अप्रैल को पंचक काल सुबह 07.12 से शुरू हो जाएगा. शास्त्रों के मुताबिक, पंचक काल में भले ही शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, लेकिन भगवान विष्णु की पूजा में पंचक काल का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. इसलिए पंचक काल का अशुभ योग में भी एकादशी पूजन में कोई असर नहीं होगा. सभी भक्त बिना किसी रुकावट के श्रीहरि विष्णु की आराधना कर सकते हैं.

पापमोचनी एकादशी पूजा मुहूर्त
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 4 अप्रैल अप्रैल को शाम 04:14 बजे शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 5 अप्रैल को दोपहर 01:28 बजे होगा. भगवान विष्णु की पूजा का समय 5 अप्रैल को सुबह 07:41 से 10:49 बजे तक रहेगा. पापमोचनी एकादशी व्रत के पारण का समय 6 अप्रैल को सुबह 06:05 से 08:37 बजे तक रहेगा.

बन रहें हैं शुभ संयोग
ज्योतिषाचार्य पंडित नारायण हरि शुक्ला ने बताया है कि पापमोचनी एकादशी पर इस साल कई शुभ संयोग बन रहे हैं. इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. साथ ही एकादशी तिथि पर रुद्राभिषेक हेतु दुर्लभ संयोग बन रहा है. इस योग में भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से घर में सुख और समृद्धि आती है.

पापमोचनी एकादशी पर सुबह 09 बजकर 56 मिनट तक साध्य योग बन रहा है. इसके बाद शुभ योग बनेगा. इन दोनों योग में पूजा-पाठ करने से लोगों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. शिव पुराण के अनुसार, देवों के देव महादेव के कैलाश पर्वत पर विराजमान रहने के दौरान शिव जी का रुद्राभिषेक करना परम फलदायी होता है. पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान शिव दोपहर 01 बजकर 28 मिनट तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे. इस दौरान भक्त भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर सकते हैं. इस योग में भगवान शिव का अभिषेक करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है.

एकादशी व्रत का महत्व
पद्मपुराण के अनुसार, पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने से व्यक्ति के समस्त दुख, दोष दूर हो जाते हैं. पापमोचनी एकादशी पर श्री हरि विष्णु की पूजा में मूर्ति, पुष्प, पुष्पमाला, नारियल, सुपारी, अनार, आंवला, लौंग, बेर, अन्य ऋतुफल, धूप, गंगाजल, पीले पुष्प, पीला चंदन और पीले रंग की मिठाई अवश्य शामिल करें. इससे आपको अपने जीवन में आने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है