एमएसएमई : नए नियम से कारोबार छिनने का डर, छोटे उद्यमी बोले- हाथ से निकल सकते हैं बड़े ऑर्डर

एमएसएमई सेक्टर के लिए 45 दिन में भुगतान करने के सोमवार से लागू नए नियम ने छोटे उद्यमियों के माथे पर चिंता की लकीरें भी ला दी हैं।

एमएसएमई : नए नियम से कारोबार छिनने का डर, छोटे उद्यमी बोले- हाथ से निकल सकते हैं बड़े ऑर्डर

एमएसएमई सेक्टर के लिए 45 दिन में भुगतान करने के सोमवार से लागू नए नियम ने छोटे उद्यमियों के माथे पर चिंता की लकीरें भी ला दी हैं। उन्हें बड़े आर्डर हाथ से छिटकने का डर सताने लगा है। वैसे तो यह नियम जल्द भुगतान की नीयत से लागू किया गया है, लेकिन छोटे उद्यमियों का कहना है कि इस फैसले से बड़ी कंपनियां और बड़े ऑर्डर उनके हाथ से छिटक सकते हैं।

यूपी में 30,000 करोड़ से ज्यादा के ऑर्डर बड़े उद्योग समूहों द्वारा एमएसएमई सेक्टर को दिए गए। इस बात से छोटे उद्यमी चिंतित भी हैं। उद्यमियों और निर्यातकों ने सरकार से 45 दिन के भीतर भुगतान नियम से छूट दिए जाने की मांग की है। उद्यमियों का कहना है कि इससे उनके कारोबार पर असर पड़ेगा। टेक्सटाइल उद्यमी 90 दिनों की मोहलत चाहते हैं। कीमती रत्नों से जुड़े कारोबारी भी राहत मांग रहे हैं।

लगेगा 30 फीसदी टैक्स\
एमएसएमई इकाइयों से माल खरीद के अधिकतम 45 दिनों के भीतर भुगतान नहीं करने वाली पार्टियों को इनकम टैक्स चुकाना होगा। चालू वित्तीय वर्ष से यह व्यवस्था लागू हो चुकी है, लेकिन टैक्स नए वित्तीय वर्ष से अदा करना होगा। इसके तहत कंपनियां अगर वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति के लिए एमएसएमई को 45 दिनों में भुगतान नहीं करती हैं, तो भुगतान पर टैक्स कटौती का दावा नहीं कर सकेंगी।

- बकाया राशि को उद्यमी की आय मान लिया जाएगा और उस पर 30 फीसदी टैक्स वसूला जाएगा। अधिक टैक्स का भुगतान करना होगा। बाद में उस खरीदारी की रकम का भुगतान कर देने पर खरीदार अगले साल सरकार से टैक्स की रकम रिफंड के रूप में वापस ले सकते हैं।

ये पड़ेगा असर
सकारात्मक पहलू: एमएसएमई उद्यमियों को समय से पेमेंट मिलेगा। डिफॉल्ट हुआ तो उनका पैसा बचेगा। देरी से भुगतान के एवज में ब्याज का भी प्रावधान है। उम्मीद है कि कम से कम 70 फीसदी फंसी रकम उद्यमियों की निकल आएगी।

नकारात्मक पहलू: बड़ी कंपनी एमएसएमई से कारोबार करने में छिटकेंगी, क्योंकि उनके पास बाजार में ज्यादा उधारी के ढेरों विकल्प हैं। जिनके पास एमएसएमई का रजिस्ट्रेशन है, वही माने जाएंगे। अपना कारोबार बचाने के लिए उद्यम रजिस्ट्रेशन सरेंडर करने की शुरुआत हो गई है।

30 हजार करोड़ के कारोबार पर असर
डिलेड पेमेंट कमेटी आईआईए के चेयरमैन केके अग्रवाल का कहना है कि नए नियम से छोटे उद्यमियों के लिए समस्या खड़ी हो गई है। बहुत से ट्रेड हैं जहां 90 से लेकर 180 दिन तक पेमेंट अवधि है। सरकार फैसले पर दोबारा विचार करे और राहत के लिए बीच का रास्ता निकाले। बड़ी कंपनियां 90 से 180 दिन तक उधारी रखती हैं। यूपी में करीब 5 लाख उद्यमी बड़ी कंपनियों के लिए काम करते हैं। उनके कारोबार पर संकट आ सकता है। कम से कम 30 हजार करोड़ के कारोबार पर इस फैसले का असर पड़ने की संभावना है।