चैत्र नवरात्र कल से, मंदिरों में तैयारियां पूरी, कलश स्थापना के हैं सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त

चैत्र नवरात्र की शुरुआत नौ अप्रैल से हो रही है। मेला और महोत्सव की धूम के बीच नवसंवत्सर का शुभारंभ भी हो रहा है

चैत्र नवरात्र कल से, मंदिरों में तैयारियां पूरी, कलश स्थापना के हैं सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त

चैत्र नवरात्र की शुरुआत नौ अप्रैल से हो रही है। मेला और महोत्सव की धूम के बीच नवसंवत्सर का शुभारंभ भी हो रहा है। मंदिरों में तैयारियां अंतिम चरण में हैं। पूजन और आरतियों का टाइम टेबल भी तय हो चुका है। पूर्व संध्या पर आयोजन होंगे। पंचांग का भी लोकार्पण व दीपदान होगा। बाजारों में दुकानें सज चुकी हैं। रविवार को लोगों ने चुनरी, नारियल, फलाहार की सामग्री की खूब खरीदारी की।

पिंगल नवसंवत्सर में राजा मंगल व मंत्री शनि
 वैदिक ज्योतिष शोध परिषद के अध्यक्ष महामहोपाध्याय डॉ. आदित्य पांडेय व पंडित धीरेन्द्र पांडेय के मुताबिक, नवसंवत्सर का नाम पिंगल है और राजा मंगल व मंत्री शनि हैं। मंगल ग्रहों में सेनापति है। यह शक्ति, शौर्य, साहस, जिद, गुस्सा, आतंकवादी हमले, युद्ध, दुर्घटना का कारक ग्रह है। शनि न्याय करते हैं, यह धार्मिक व सात्विक लोगों को आगे बढ़ाएगा। तामसिक खानपान वालों के लिए कष्टकारी हो सकता है। निर्माण व तकनीक विकास में दोनों ग्रह सहयोगी बनेंगे। वाहन दुर्घटनाएं काफी हो सकती हैं। गैरकानूनी व गैर सामाजिक लोगों पर न्याय का शिकंजा कसेगा।

जानिए कलश स्थापना का मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य पंडित धीरेंद्र पांडेय, आनंद दुबे व एसएस नागपाल के मुताबिक, नवरात्र प्रतिपदा पर दो मुहूर्त हैं। नवरात्र का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त सुबह 11.24 से 12.36 बजे के बीच अभिजित मुहूर्त है जिसमें कलश स्थापना उत्तम फलदायी है। जो लोग किसी कारण से अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना न कर सकें, वे दोपहर में 3.17 के बाद से सूर्यास्त तक कर सकते हैं।

चंद्रिका देवी मंदिर : पानी-प्रकाश, विश्राम गृह सब तैयार
बीकेटी के कठवारा गांव स्थित मां चंद्रिका देवी मंदिर में साफ-सफाई, रंगाई-पुताई पूरी हो चुकी है। मां चंद्रिका देवी मेला विकास समिति के उपाध्यक्ष कृष्णपाल सिंह ने बताया कि मंदिर के प्रथम द्वार पर पीने के पानी की व्यवस्था की जा रही है। पर्यटन की तरफ से चार हाईमास्ट लाइट लगाई जा रही हैं। विश्राम गृह में श्रद्धालुओं के लिए साफ-सफाई पूरी कर दी गई है। सेवादार राजेश सिंह, शृंगार की व्यवस्था देख रहे नरेश सैनी के मुताबिक, शौचालय आदि की व्यवस्थाएं कर दी गई हैं। मंदिर के बाहर मेला लगता है। नौ दिन में दो लाख से अधिक भक्तों की संख्या हर बार होती है, इसे देखते हुए यहां 24 घंटे सुरक्षा व्यवस्था भी रहती है।

कल्पवास करने वालों के लिए फलाहार, पूजन का विशेष प्रबंध
मंदिर प्रबंधन का कहना है कि मनौती मानने वाले पूरी होने यहां कल्पवास करने आते हैं। उनके ठहरने के लिए विश्रामगृह में प्रबंध कर दिया गया। वे सूक्ष्म शुल्क देकर यहां रहते हैं। व्रतियों के लिए फलाहार आदि का भी प्रबंध किया जाता है। मुंडन संस्कार, गोद भराई आदि शुभ कार्यों को करने भी बड़ी संख्या में भक्त यहां आते हैं।

बड़ी काली जी मंदिर में नौ दिन नौ भोग
स्वामी हंसानंद के मुताबिक, भक्तों के लिए चाय, पेयजल की विशेष व्यवस्था की गई है। गुजरात से भजन गायक बुलाए गए हैं। नौ दिन नौ प्रकार का भोग माता को लगेगा। नौ दिन के लिए अलग-अलग रंग के परिधान पहनाए जाएंगे। चूड़ी वाली गली में स्थित छोटी काली जी मंदिर में माता भद्रकाली की विशेष आराधना होगी।

आधा किमी. की दूरी पर नौ देवी दर्शन
चौक में रानी कटरा स्थित संकठा देवी दर्शन करने जाएं तो आधा किमी. की दूरी पर नौ देवियों के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होगा। रिद्धि गौड़ के मुताबिक, संकठा देवी मंदिर से बीस कदम की दूरी पर संतोषी माता, इससे 10 कदम की दूरी पर बंदी माता, कुछ और आगे कुसुंभी देवी के दर्शन होंगे। कुछ और आगे बढ़ें तो ललिता देवी, संदोहन देवी, मसानी व शीतला देवी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं। सभी मंदिर आधा किमी. में हैं।