रायबरेली का रण: बेटा कार बनाता है, मां बेकार बनाती है...गूंजते नारों के बीच बनते-बिगड़ते रहे समीकरण

चुनावी मैदान में नारों की अहम भूमिका रही है। कभी नारे इतने लोकप्रिय होते थे कि बच्चा पार्टी गली-गली में उनका शोर करती थी।

रायबरेली का रण: बेटा कार बनाता है, मां बेकार बनाती है...गूंजते नारों के बीच बनते-बिगड़ते रहे समीकरण

चुनावी मैदान में नारों की अहम भूमिका रही है। कभी नारे इतने लोकप्रिय होते थे कि बच्चा पार्टी गली-गली में उनका शोर करती थी। हाथ में बिल्ला और झंडी लेकर बच्चों की टुकड़ी नारे लगाकर चुनावी रंग का अहसास कराती थी। चुनावी नारों का रायबरेली लोकसभा सीट पर जमकर जादू चला है। कुछ ऐसे नारे हैं जो आज भी रायबरेली की चुनावी रंगत में रम जाते हैं।

 रायबरेली लोकसभा सीट पर सबसे पहला लोकप्रिय नारा सन 1971 के आम चुनाव में गरीबी हटाओ रहा। इस नारे की गूंज गली-गली तक रही और इंदिरा गांधी को लोगों ने हाथों हाथ लिया था। असल में 1967 में जब इंदिरा गांधी चुनाव मैदान में उतरीं तो उस दौरान कांग्रेस का नारा सरकार बनाना खेल नहीं, इस दीपक में तेल नहीं रायबरेली में खूब गूंजा था, लेकिन 1971 में गरीबी हटाओ नारा के स्लोगन के साथ इंदिरा गांधी की तस्वीर ने लोगों से भावनात्मक रिश्ता कायम करने में सफलता हासिल कर ली।

गरीबी हटाओ नारे ने खूब लोकप्रियता हासिल की 
आम लोगों के दिल को छूने वाला यही नारा एक बड़ा मुद्दा बन गया। चुनाव प्रचार के दौरान इंदिरा गांधी लोगों से कहती थीं कि वह कहते हैं कि इंदिरा हटाओ, हम कहते हैं गरीबी हटाओ। इसी पर इंदिरा के समर्थन में एक और नारा लोकप्रिय हुआ...जात पर न पात पर, इंदिरा जी की बात पर, मुहर लगेगी हाथ पर।