Mumps Outbreak: कई राज्यों में बढ़ते इस संक्रामक रोग को लेकर अलर्ट, सुनने की क्षमता खो रहे हैं रोगी

उत्तर से लेकर दक्षिण तक, देश के कई राज्य इन दिनों तेजी से बढ़ती गंभीर संक्रामक बीमारी से परेशान हैं।

Mumps Outbreak: कई राज्यों में बढ़ते इस संक्रामक रोग को लेकर अलर्ट, सुनने की क्षमता खो रहे हैं रोगी

उत्तर से लेकर दक्षिण तक, देश के कई राज्य इन दिनों तेजी से बढ़ती गंभीर संक्रामक बीमारी से परेशान हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तमिलनाडु-केरल से लेकर राजस्थान, दिल्ली-उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में तेजी से मम्प्स वायरस के कारण होने वाली संक्रामक बीमारी के मामले देखे जा रहे हैं। पैरामाइक्सोवायरस नामक वायरस के समूह के कारण होने वाले इस संक्रामक रोग में पैरोटिड ग्रंथियों में गंभीर और दर्दनाक सूजन हो सकती है। इस संक्रामक रोग के गंभीर दुष्प्रभावों को लेकर भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है।

हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मम्प्स वायरस के मामले अचानक से राजस्थान के कई हिस्सों में बढ़ते हुए देखे गए हैं। जयपुर में इस रोग के गंभीर दुष्प्रभावों की भी खबर है, जहां संक्रमण के शिकार रहे छह लोगों में बहरेपन की समस्या हो गई है। वैसे तो इस वायरल संक्रमण का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर देखा जाता रहा है पर ये वयस्कों को भी अपना शिकार बना सकती है।

डॉक्टर्स ने कई शहरों में अलर्ट जारी करते हुए इस संक्रामक रोग से बचाव को लेकर सावधानी बरतने की अपील की है।
तमिलनाडु-केरल में बढ़े केस

दक्षिण के राज्य केरल में फरवरी-मार्च में मम्प्स के मामले तेजी से बढ़ने शुरू हुए थे। मार्च तक की रिपोर्ट के अनुसार कुछ ही महीनों में राज्य में 11 हजार से अधिक केस दर्ज किए गए। इसी तरह तमिलनाडु में मार्च के अंत तक, पिछले साल इसी अवधि की तुलना में 461 लोगों में संक्रमण की पुष्टि की गई है। तमिलनाडु के कई हिस्सों में मम्प्स के साथ-साथ मेसल्स और चिकनपॉक्स के मामलों में भी बढ़ोतरी रिपोर्ट की गई है।

डॉक्टर्स कहते हैं, जहां पहले तीन-चार महीने में एक-दो और सालभर में 10-15 केस ही देखे जाते थे वहीं अब हर महीने 40-50 से मामले सामने आ रहे हैं। बच्चों में यह ज्यादा फैलता रहा है, हालांकि वयस्क भी इसके शिकार पाए जा रहे हैं
बच्चों में अधिक देखा जाता है ये संक्रामक रोग

अमर उजाला से बातचीत में नोएडा स्थित इंटेंसिव केयर के डॉ श्रेय श्रीवास्तव बताते हैं, मम्पस सबसे अधिक 2 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रभावित करता है, जिन्हें इसका टीका नहीं मिला है। हालांकि, किशोरों और वयस्कों को भी इसका संक्रमण हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ वर्षों के बाद टीके की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। फिर भी मम्प्स के संक्रमण से बचाव का सबसे अच्छा तरीका वैक्सीनेशन है जो आपको संक्रमण की स्थिति में गंभीर समस्याओं के खतरे को कम करने में सहायक है। 

क्या हैं मम्प्स के लक्षण?

डॉ कहते हैं, मम्प्स के शुरुआती लक्षण अक्सर हल्के होते हैं। बहुत से लोगों में तो कोई भी लक्षण नहीं होते और उन्हें पता भी नहीं होता कि वे संक्रमित हैं। हालांकि संक्रमण बढ़ने के साथ रोग का खतरा अधिक होता जाता है। शुरुआत में गले में सूजन के साथ बुखार, सिरदर्द-मांसपेशियों में दर्द, थकान,भूख में कमी जैसी दिक्कत हो सकती हैं। 

रोगी के पैरोटिड ग्रंथियों में सूजन हो सकती है। आपकी पैरोटिड ग्रंथियां लार ग्रंथियां हैं जो आपके कान और जबड़े के बीच स्थित होती हैं। इससे रोगी के गाल और जबड़ा सूज जाता है। वैसे तो इस रोग से पीड़ित अधिकांश लोग दो सप्ताह के भीतर पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। हालांकि कुछ लोगों में इसके गंभीर रूप लेने का भी खतरा हो सकता है। कुछ लोगों में इसके कारण बहरेपन का खतरा हो सकता हांलांकि अधिकतर लोगों में सुनने की क्षमता वापस भी आ जाती है।
मम्प्स से बचाव कैसे करें?

डॉ श्रेय बताते हैं, मम्प्स बहुत ही संक्रामक वायरल संक्रमण है। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के लार के सीधे संपर्क से या संक्रमित व्यक्ति के नाक, मुंह या गले से निकलने वाली श्वसन बूंदों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। मम्प्स की रोकथाम के लिए मेसल्स-मंप्स और रूबेला (एमएमआर वैक्सीन) प्रभावी मानी जाती है जो संक्रमण और गंभीर रोग के खतरे से बचा सकती है।

वायरल संक्रमण के खतरे से बचाव के लिए संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क से बचें और अगर आपमें लक्षण दिख रहे हैं तो समय रहते डॉक्टर से संपर्क करें।