जानें कैसा है इकबाल शेरवानी का सियासी कद, जिनके इस्तीफे से अखिलेश यादव की बढ़ी बेचैनी

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा देने वाले सलीम इकबाल शेरवानी का बदायूं कासगंज की राजनीति से चार दशक पुराना रिश्ता है। हालांकि उनके परिवार से इस इलाके का और भी पुराना रिश्ता है।

जानें कैसा है इकबाल शेरवानी का सियासी कद, जिनके इस्तीफे से अखिलेश यादव की बढ़ी बेचैनी

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा देने वाले सलीम इकबाल शेरवानी का बदायूं कासगंज की राजनीति से चार दशक पुराना रिश्ता है। हालांकि उनके परिवार से इस इलाके का और भी पुराना रिश्ता है। उनके परिवार ने 40 के दशक में यहां चीनी मिल लगाई। जो काफी पहले दूसरे  ग्रुप को बेची जा चुकी है।


बड़ी संख्या में उनके समर्थक यहां हैं। वर्ष 1984 में शेरवानी कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते वह पहली बार सांसद चुने गए। इसके बाद 1996 में सपा प्रत्याशी के रूप में संसद का चुनाव जीते और प्रधानमंत्री आई के गुजराल के मंत्रिमंडल में विदेश राज्य मंत्री रहे। यह कुछ समय के लिए स्वास्थ्य राज्य मंत्री भी भारत सरकार में रहे। उन्होंने 1998 में चुनाव जीता, उसके बाद 1999 में। इसके पश्चात वर्ष 2004 में सांसद चुने गए। 

 
सलीम इकबाल शेरवानी पांच बार सांसद रहे। उनके समर्थक बाबू अहमद बताते हैं कि जिस भी दल में शेरवानी रहते हैं वे उन्हीं के साथ जाते हैं। ऐसे केवल वो नहीं है हजारों समर्थक उनके यहां मौजूद हैं। असर सैफी ने कहा की पूर्व केंद्रीय मंत्री शेरवानी की क्षेत्र की राजनीति में अच्छी पकड़ है।  वह एक अच्छे और सच्चे नेता के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने बताया कि वह स्वयं दिल्ली गए हुए थे, जिस समय उन्होंने इस्तीफा दिया। वे वहीं पर मौजूद थे। उनके काफी समर्थक भी दिल्ली में मौजूद रहे।