धनतेरस पर इन चीजों की जरूर करे खरीदारी कुबेर और धन्वंतरि देव की पूजा विधि स्थिर लक्ष्मी का पूजन

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धनतेरस पर नए उपहार, सिक्के, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ रहता है। शुभ मुहूर्त समय में पूजन करने के साथ 7 धान्यों की पूजा की जाती है। 7 धान्य गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर हैं। 7 धान्यों के साथ ही पूजन सामग्री में विशेष रूप से स्वर्णपुष्पा के पुष्प से भगवती का पूजन करना लाभकारी रहता है। धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है, जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोषरूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है, सुखी है और वही सबसे धनवान है। धनतेरस के दिन झाडू खरीदने को भी काफी शुभ माना जाता है। मान जाता है कि इस दिन झाडू खरीदने और सफाई करने से सभी नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। इस दिन घर के प्रत्येक कोने में सफाई की जाती है। जिससे मां लक्ष्मी और कुबेर की कृपा सदैव बनी रहे और भगवान गणेश रिद्धि-सिद्धि के साथ घर मे प्रवेश करें।

इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिए नैवेद्य के रूप में श्वेत मिष्ठान्न का प्रयोग किया जाता है, साथ ही इस दिन स्थिर लक्ष्मी का पूजन करने का विशेष महत्व है।

धनतेरस पूजन विधि

धन तेरस की पूजा शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए। सबसे पहले तेरह दीपक जला कर तिजोरी में कुबेर का पूजन करना चाहिए। देव कुबेर का ध्यान करते हुए उन्हें फूल चढाएं। इसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करें। इस दिन स्थिर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है

 

धनतेरस पर धन्वंतरि देव की षोडशोपचार पूजा का विधान है। षोडशोपचार यानि विधिवत 16 क्रियाओं से पूजा संपन्न करना। इनमें आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन (सुगंधित पेय जल), स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध (केसर-चंदन), पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आचमन (शुद्ध जल), दक्षिणायुक्त तांबूल, आरती, परिक्रमा आदि है।

 

धनतेरस पर पीतल और चांदी के बर्तन खरीदने की परंपरा है। मान्यता है कि बर्तन खरीदने से धन समृद्धि होती है। इसी आधार पर इसे धन त्रयोदशी या धनतेरस कहते हैं।

 

इस दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार और आंगन में दीये जलाने चाहिए। क्योंकि धनतेरस से ही दीपावली के त्यौहार की शुरुआत होती है।

 

धनतेरस के दिन शाम के समय यम देव के निमित्त दीपदान किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मृत्यु के देवता यमराज के भय से मुक्ति मिलती है।