अगर आप शुभ चिह्न स्‍वास्तिक बनाते समय, करते है ये गलती, तो हो जाता है पैसो का नुकसान, जानिए सही तरीका और फायदे

स्वास्तिक का अर्थ ही ‘अच्छा’ होता है। हिंदू धर्म में बहुत सारे चिन्ह हैं जिन्हें शुभ माना गया है। यदि स्‍वास्तिक के चिह्न को सही तरीके से बनाया जाए तो यह ढेरों लाभ देता है। वास्तिक बनाने में की गई गलती बड़ी मुसीबतें भी ला सकती है इसलिए इसे बनाते समय कुछ बातों का ध्‍यान रखना बहुत जरूरी है।

अगर आप शुभ चिह्न स्‍वास्तिक बनाते समय, करते है ये गलती, तो हो जाता है पैसो का नुकसान, जानिए सही तरीका और फायदे

घर में किसी भी पूजा या शुभ काम करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। गणेश जी की मूर्ति की पूजा करने से पहले घर के मंदिर के पास गणेशजी का प्रतीक चिह्न स्वास्तिक बनाया जाता है। बता दें कि स्वास्तिक गणेश जी का चिह्न होता है। स्वास्तिक शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ ‘सु’ का मतलब शुभ, ‘अस’- का मतलब अस्तित्व, और ‘क’ का मतलब कर्ता होता है। इस प्रकार से स्वास्तिक का अर्थ मंगल करने वाला होता है ।

प्रचीन काल से भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म में स्वास्तिक को मंगल प्रतीक माना जा रहा है। हिंदू धर्म को मानने वाले लोग अपने घर के दरवाजे और घर के अंदर कई स्थानों पर इस चिन्ह को बनाते हैं। वह केवल इस चिन्ह को बनाते ही नहीं बल्कि इसकी पूजा भी करते हैं। स्वास्तिक का अर्थ ही ‘अच्छा’ होता है। हिंदू धर्म में बहुत सारे चिन्ह हैं जिन्हें शुभ माना गया है। उनमें से यह भी एक है। स्वास्तिक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे जिस दिशा में भी बना दिया जाए यह वहां की पॉजिटिव एनर्जी को 108 गुना बढ़ा देता है। यदि कहा जाए कि यह सबसे से विशेष और शक्तिशाली चिन्ह है तो यह गलत नहीं होगा। 

यदि स्‍वास्तिक के चिह्न को सही तरीके से बनाया जाए तो यह ढेरों लाभ देता है।  इसे बनाने से आसपास के माहौल में सकारात्‍मकता आती है।  लोगों की एकाग्रता बढ़ती है. वास्‍तु दोष दूर होते हैं।  जीवन में संपन्‍नता आती है।  यहां तक कि इसमें बीमारियों-तनाव से दूर रखने की भी ताकत होती है।  वहीं स्‍वास्तिक बनाने में की गई गलती बड़ी मुसीबतें भी ला सकती है इसलिए इसे बनाते समय कुछ बातों का ध्‍यान रखना बहुत जरूरी है।  

स्‍वास्तिक बनाने और प्रयोग करने में ध्‍यान रखें ये बातें- 

हमेशा ध्‍यान रखें कि स्‍वास्तिक सीधा ही बनाएं।  उल्‍टा स्‍वास्तिक बनाना बहुत भारी पड़ सकता है।  यह जीवन में कई मुसीबतें ला सकता है ।

स्‍वास्तिक सीधा बनाने के साथ-साथ इसकी रेखाएं और कोण सही अनुपात में होने चाहिए. इनका बड़ा-छोटा होना अच्‍छा नहीं माना जाता है ।

स्‍वास्तिक का शुभ प्रतीक लाल, पीले और नीले रंग से ही बनाना चाहिए. इसमें लाल और पीला रंग सबसे शुभ माना गया है। इनके अलावा किसी अन्‍य रंग से बना स्‍वास्तिक अशुभ फल देता है ।

जो लोग स्‍वास्तिक धारण करना चाहते हैं, वे ध्‍यान रखें कि स्‍वास्तिक के चारों ओर एक गोलाकार घेरा हो। सोने या चांदी के गोलाकार घेरे के अंदर बना स्‍वास्तिक लाल धागे में धारण करना एकाग्रता बढ़ाता है ।

स्वास्तिक को बनाते वक्त ध्यान रखें कि उसे क्रॉस बना कर न बनएं। अमूमन लोगों के यह नही पता होता है। वह पहले प्लस का साइन बनाते हैं और उसके बाद स्वास्तिक की अन्य भुजाएं बनाते हैं। मगर, इस तरह बनाए गए स्वास्तिक को शुभ नहीं माना जाता है। स्वास्तिक का हमेशा पहले दाएं का भाग बनाएं और फिर बाएं का भाग बना दें। इस तरह बने स्वास्तिक को ही शुभ माना जाता है।

पूजा घर में स्वास्तिक के पास कभी भी गंदगी न करें। स्वास्तिक को सदैव रोली या कुमकुम से बनाएं। पूजा समाप्त होने के बाद कभी भी स्वयं से स्वास्तिक को न हटाएं। जब भी स्वास्तिक हट जाएं तो उस रोली या कुमकुम को हाथों से उठाकर तुलसी के पौधे पर डाल दें।

स्वास्तिक के लाभ और कुछ प्रयोग-

अगर आपको खूब पैसा कमाना है तो आपको घर की उत्तर की दिशा में बनी दीवार पर स्वास्तिक का निशान बनाना चाहिए। इससे आपको कभी भी पैसे की कमी नहीं होगी।

अगर आप चाहती हैं कि आपके घर में ढेर सारी खुशियां आएं तो आपको घर की दक्षिण दिशा में बनी दीवार पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए। इससे आपके घर में खुशियां ही खुशियां बिखर जाएंगी। 

अगर आपका व्यवसाय ठीक नहीं चल रहा या आपको लगातार हानि हो रही है तो आपको तिजोरी पर लाल रंग की रोली से स्वास्तिक बनाना चाहिए। आपको उत्तर पूर्व दिशा में यह चिन्ह बनाना चाहिए । 

वहीं अगर आपको अपने किसी काम या बिजनेस में प्रॉफिट कमाना है तो आपको अपने घर की वेस्ट दिशा में बनी दीवार पर स्वास्तिक का निशान बनाना चाहिए। इससे आपको बिजनेस में बहुत लाभ मिलेगा। 

आपके घर में पढ़ने वाले बच्चे हैं तो आपकेा सफेद रंग के कागज पर स्वास्तिक बना कर उसे बच्चों के पढ़ाई वाले स्थान पर रख देना चाहिए। 

अगर आपकी लाइफ में परेशानी चल रही है तो आपकेा पंच धातु के स्वास्तिक को अपने घर की चौखट पर लगवाना चाहिए। इससे आपकेा सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे। 

घर में अगर कोई हमेशा बीमार रहता है तो आपको घर के मुख्य द्वारा पर अगर आप स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए। इसकी हल्दी और कुमकुम से पूजा करनी चाहिए। घर में जो बीमार है उसकी सेहत सुधरती हैं। 

अगर आपके घर के सामने पेड़ है या फिर कोई खम्बा है तो यह वास्तु के हिसाब से अशुभ होता है। इसलिए आपको इन पर स्वास्तिक का निशान बना लेना चाहिए। 

आप जिस भी देवी या देवता की पूजा करने जा रहे हैं उन्हें खुश करने के लिए आप स्वास्तिक बना कर उनकी प्रतिमा को उसके उपर रख दीजिए इससे आपकी पूजा सफल हो जाएगी। 

सनातन परंपरा में स्वास्तिक को सृष्टिचक्र की संज्ञा दी गई है। माना जाता है कि स्वास्तिक का मध्य बिंदू शक्ति पुंज के रूप में कार्य करता है। तथा चारों युगों, सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलयुग के काल चक्र को नियंत्रित करते हुए इनका प्रतिनिधित्व भी करता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, एक कल्प बाद सृष्टि को एक नया जीवन मिलता है और फिर से सतयुग शुरू होता है। स्वास्तिक एक शक्तिपुंज के रूप में कार्य करता है। धार्मिक मान्यताओं में इसे पृथ्वी पर संचालित होनेवाले चारों युगों से संबंधित बताया गया है। इस शक्तिपुंज का प्रत्येक हिस्सा एक युग का प्रतिनिधित्व करता है। ध्यान कीजिए कि पूजा के दौरान पंडित जी कैसे स्वास्तिक बनाते है यदि समझ में ना आए तो आप अपने पुरोहित जी से मंदिर जाकर इस बारे में जानकारी ले सकते हैं।

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं, NewsASR.com इनकी पुष्टि नहीं करता है, इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)