आने वाली पीढ़ी के कल के लिए आज प्रकृति का रक्षण जरूरी है वृक्षारोपण क्यों जरूरी है
पर्यावरण को बचाने के लिए लोगों को अपनी आदतें बदलनी होंगी. अगर वो स्वयं नहीं बदलते हैं, तो प्रकृति उन्हें समाप्त कर देगी. इस महामारी ने एक बात साफ़ कर दी कि मुश्किल घड़ी में सारी दुनिया एक साथ खड़ी होकर एक दूसरे का साथ देने के लिए तैयार है. तो फिर क्या यही जज़्बा और इच्छा शक्ति हम पर्यावरण बचाने के लिए ज़ाहिर नहीं कर सकते? हमें उम्मीद है इस समय का अंधकार हम स्वच्छ और हरे-भरे वातावरण से मिटा देंगे.
सड़क पर गाड़ियों की कतारें, धुआंं उगलती फैक्ट्रियां और धूल बिखेरते निर्माण हमारे शहरों के विकास की पहचान बन गए है। बड़े पैमाने पर होने वाली गतिविधियों ने हमारे शहरों की हवा को कितना जहरीला और नदियों को कितना प्रदूषित किया, यह हम सब जानते हैं।
पृथ्वी सम्मेलन के 29 साल बाद भी हालात जस के तस ही थे, लेकिन कोरोना महामारी से भयाक्रांत समूचे विश्व में लॉक डाउन ने पर्यावरण को स्वस्थ होने का अवकाश दे दिया है। हवा का जहर क्षीण हो चला है और नदियों का जल निर्मल होने लगा है । ठीक यही समय है जब पूरी दुनिया पर्यावरण और विकास के संतुलन पर उतनी ही गंभीरता से सोचे जितना कोरोना संकट से निपटने के लिए सोच रही है।
इन चुनौतियों के बीच एक बात सौ फ़ीसद सच है कि दुनिया का ये लॉकडाउन प्रकृति के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है. वातावरण धुल कर साफ़ हो चुका है. हालांकि ये तमाम परिवर्तन कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए हैं. जिस तरह मौजूदा समय में जान बचाना लोगों की प्राथमिकता बना हुआ है वैसे ही लोगों को पर्यावरण के प्रति चिंतित कराया जाना ज़रुरी है. पर्यावरण को बचाने के लिए लोगों को अपनी आदतें बदलनी होंगी.
अगर वो स्वयं नहीं बदलते हैं, तो प्रकृति उन्हें समाप्त कर देगी. इस महामारी ने एक बात साफ़ कर दी कि मुश्किल घड़ी में सारी दुनिया एक साथ खड़ी होकर एक दूसरे का साथ देने के लिए तैयार है. तो फिर क्या यही जज़्बा और इच्छा शक्ति हम पर्यावरण बचाने के लिए ज़ाहिर नहीं कर सकते? हमें उम्मीद है इस समय का अंधकार हम स्वच्छ और हरे-भरे वातावरण से मिटा देंगे.
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