यम दीपक जलाने का सही समय यम की पूजा कैसे करें धनतेरस पर यमपूजा का समय धनतेरस का दिया सम्पूर्ण सरल विधि

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धनतेरस पर यम पूजा

 

धनतेरस के दिन यमदेव की पूजा की जाती है। माना जाता है की इस दिन यमदेव का पूजन करने से यमदेव हमें अकालमृत्यु का भय दूर करते हैं। इसलिए अकालमृत्यु से बचने के लिए धनतेरस को यमदेव की पूजा की जाती है।

 

यम का दीया ऐसे जलाये – यम पूजन विधि :

पूजा दिन में नहीं बल्क‍ि रात में होती है। यमराज की पूजा सिर्फ एक चौमुखी दीप जलाकर की जाती है।

इसके लिए आटे का दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार के दाईं ओर रख दिया जाता है। इस दीया को जमदीवा,जम का दीया या यमराज का दीपक भी कहा जाता है।

 

रात को घर की स्त्रियां दीपक में तेल डालकर नई रूई की बत्ती बनाकर, चार बत्तियां जलाती हैं । दीपक की बत्ती दक्षिण दिशा की ओर रखनी चाहिए।

दीपक जलाने से पहले उसकी जल, रोली, फूल, चावल, गुड़, नैवेद्य आदि से पूजा करनी चाहिए। घर में पहले से दीपक जलाकर यम का दीया ना निकालें।

धनतेरस का दीपक मृत्यु के नियंत्रक देव यमराज के निमित्त जलाया जाता है, इसलिए दीप जलाते समय पूर्ण श्रद्धा से उन्हें नमन करने के साथ ही यह भी प्रार्थना करें कि वे आपके परिवार पर दया दृष्टि बनाए रखें और किसी की अकाल मृत्यु न हो।

 

इस दौरान भगवान कुबेर को सफेद और धनवंतरि को पीली मिठाई को भोग लगाना उचित माना जाता है। वहीं पूजा के दौरान

"ॐ ह्रीं कुबेराय नमः"

का जाप करें।

और फिर इसके पश्चात

'धनवंतरि स्तोत्र'

का पाठ करना चाहिए।

पूजा के पश्चात कुबेर को धन स्थान पर और धनवंतरि को पूजा स्थान पर स्थापित करें।

धनतेरस के दिन भौम प्रदोष व्रत

इस साल यानि 2021 में धनतेरस के दिन ही मंगलवार, 2 नवंबर को भौम प्रदोष व्रत भी रहेगा। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार भौम प्रदोष व्रत और धनतेरस के संयोग में ज्यादा सकारात्मक परिणाम के लिए कुछ खास चीजों की खरीदारी विशेष मानी गई है। माना जाता है कि इन दिन घर, दुकान, जमीन या भूमि और भवन के क्षेत्र में निवेश बड़ा लाभ दिलाता है।