रक्षाबंधन में राखी बांधने से पहले क्या करना चाहिए? क्या है सही तरीका: जानें राखी की थाली में कौन-कौन सी सामग्री रखें, क्या है राखी के मंत्र का मतलब

बहनें बस श्रद्धा भाव से राखी बांध दे तो यह भी काफी होता है लेकिन इसकी शास्त्रीय विधि और परंपरा भी है जिसके द्वारा राखी बांधना अधिक प्रभावी और शुभ हो सकता है। राखी की थाली में कौन-कौन सी सामग्री का होना जरूरी है और राखी बांधने का सही तरीका क्या है जानने के लिए पढ़ें.भाई की कलाई पर राखी बांधने का सही तरीका क्या है और राखी बांधते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है?

रक्षाबंधन में राखी बांधने से पहले क्या करना चाहिए? क्या है सही तरीका: जानें राखी की थाली में कौन-कौन सी सामग्री रखें, क्या है राखी के मंत्र का मतलब

राखी का त्योहार भाई बहन के स्नेह का त्योहार है। इस त्योहार में मंत्रों के साथ रक्षा सूत्र यानी राखी बांधे तो यह अधिक शुभ फलदायी होता है। यह मंत्र भाई को संकट से बचाता है और बहनों के जीवन में भी सुख लाता है। 

रक्षा बंधन पर भाई की कलाई पर शुभ मुहूर्त और सही तरीके से राखी बांधने का विशेष महत्व है. राखी की थाली में कौन-कौन सी सामग्री का होना जरूरी है और राखी बांधने का सही तरीका क्या है जानने के लिए पढ़ें.भाई की कलाई पर राखी बांधने का सही तरीका क्या है और राखी बांधते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है?

Raksha Bandhan राखी बांधने से पहले जरूर करें ये काम

थाली में रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षासूत्र और दही रखें

घी का एक दीपक भी रखें, जिससे भाई की आरती करें

रक्षा सूत्र और पूजा की थाली सबसे पहले भगवान को समर्पित करें.

Raksha Bandhan राखी बांधते समय पढ़ें ये मंत्र

ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:

तेन त्वामभि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल

बहना ने भाई के कलाई से प्यार बांधा है, रेशम की डोरी से संसार बंधा है। राखी के इस गीत में रक्षाबंधन का संपूर्ण रहस्य समाहित है। बहन इस त्योहार के दिन भाई की कलाई पर रेशम की डोरी बांधती है जिनमें संपूर्ण संसार का स्नेह और प्रेम समाहित होता है। 

इस प्रेम के धागे की पवित्रता में पूरा संसार बंध जाता है जैसे त्रिलोकी को जीत लेने वाला राजा बली देवी लक्ष्मी की राखी के धागे से स्नेह डोर में बंध गए। इसी राखी से देवी लक्ष्मी ने जगत के स्वामी भगवान विष्णु को राजा बलि से मुक्त करवा लिया। इसी परंपरा को हर बहन आज भी निभाती है और सावन पूर्णिमा के दिन भाई की कलाई में रंग-बिरंगी राखी बांधती है। 

इस राखी के द्वारा बहनें अपने भाई को सुखी और लंबी आयु का आशीर्वाद देती है। वैसे तो बहनें बस श्रद्धा भाव से राखी बांध दे तो यह भी काफी होता है लेकिन इसकी शास्त्रीय विधि और परंपरा भी है जिसके द्वारा राखी बांधना अधिक प्रभावी और शुभ हो सकता है।


Raksha Bandhan राखी की थाली में जरूर रखें ये पांच चीजें

रोली या हल्दी पाउडर

अक्षत (साबूत चावल)

आरती के लिए दीपक

मिठाई

रक्षाबंधन का मंत्र

रक्षाबंधन के दिन बहने राखी बांधते समय इस पौराणिक मंत्र ‘येन बद्धो बलि राजा,दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:’ का जाप का उच्चारण जरूर करें। 

इसका अर्थ हिन्दी में

इस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था। उसी रक्षा सूत्र से मैं तुम्हें बाधता हूँ। जो तुम्हारी सदैव रक्षा करेगा। हे रक्षे!तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो।

धार्मिक विद्वानों के अनुसार इस मंत्र का अर्थ यह है कि जिस रक्षा सूत्र से दानव के महापराक्रमी राजा बलि धर्म के बंधन में बंध गए थे। उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूँ। इसके बाद पुरोहित रक्षा सूत्र से कहते हैं, कि हे रक्षे तुम स्थिर रहना, तुम हमेशा स्थिर रहना।

विष्णु पुराण में इस मंत्र का अर्थ यह है कि जब भगवान विष्णु ने वामन रूप में दो पग में ही धरती और पाताल को नाप लिया, तब राजा बलि भगवान विष्णु को पहचान गए और तीसरा पग रखने के लिए उन्होंने अपना सिर दे दिया। उसी समय राजा बलि ने भगवान विष्णु को बैकुंठ लोक को छोड़कर पाताल लोक चलने को कहा था।

Raksha Bandhan राखी बांधने की सही विधि

राखी बांधने की शास्त्रीय विधि और मंत्र

राखी के दिन सबसे पहले स्नान करके पवित्र होना चाहिए और देवताओं को प्रणाम करना चाहिए। कुल देवी और देवताओं का आशीर्वाद जरूर लें।
चांदी, पीतल या तांबे की थाली में राखी, अक्षत, रोली या सिंदूर एक छोटी कटोरी में रखें और जल या इत्र से गीला कर लें।
राखी की थाल को पूजा स्थल में रखें और सबसे पहली राखी बाल गोपल या अपने ईष्ट देवता को अर्पित करें। भगवान से प्रार्थना करें।
राखी बंधते समय भाई का मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इससे आपकी राखी को देवताओं का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
राखी बंधवाते समय भाईयों को सिर पर रुमाल या कोई स्वच्छ वस्त्र रखना चाहिए।
बहन सबसे पहले भाई के माथे पर रोली या सिंदूर का टीका लगाएं।
टीका के ऊपर अक्षत लगाएं और आशीर्वाद के रूप में भाई के ऊपर कुछ अक्षत छींटें।
भाई की नजर उतारने के लिए दीप से आरती दिखाएं। कहीं-कहीं बहनें अपनी आंखों का काजल भी भाई को लगाती हैं।
भाई की दायीं कलाई में राखी का पवित्र धागा, मंत्र बोलते हुए बांधे। इससे राखी के धागों में शक्ति का संचार होता है।
भाई बहन एक दूसरे को मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराएं।
अगर भाई बड़ा हो तो बहनें भाई के चरण स्पर्श करें, बहनें बड़ी हों तो भाईयों को बहनों के चरण छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए।
भाई वस्त्र, आभूषण या धन देकर बहन के सुखी जीवन की कामना करें।

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राखी बांधने का मुहूर्त


भद्रा 30 अगस्त को रात के समय 9 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी। शास्त्रों में ऐसा विधान है की भद्रा स्थिति में भद्रा मुख का त्याग करके भद्रा पूंछ जब हो उस समय शुभ कार्य जैसे रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा सकता है। इस बार भद्रा पूंछ शाम में 5 बजकर 30 मिनट से 6 बजकर 31 मिनट तक रहेगी। आप चाहें तो इस समय रक्षाबंधन का पर्व मना सकते हैं। इसमें आपको भद्रा का दोष नहीं लगेगा। ख्याल रखें की भद्रा मुख के दौरान आपको राखी नहीं बांधनी है।

30 अगस्त 2023 को भद्रा पूंछ का समय में 5 बजकर 30 मिनट से 6 बजकर 31 मिनट तक
30 अगस्त 2023 को भद्रा मुख का समय शाम में 6 बजकर 31 मिनट से 8 बजकर 11 मिनट तक।

इस समय बांधे राखी


30 अगस्त को भद्र रात में 9 बजकर 1 मिनट तक होने के कारण आप चौघड़िया मुहूर्त में भी राखी बांध सकते हैं।
अमृत चौघड़िया मुहूर्त राखी बांधने के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त सुबह 7 बजकर 34 मिनट से 9 बजकर 10 मिनट तक।
शुभ चौघड़िया मुहूर्त सुबह 10 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 22 मिनट तक।
अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त रात में 9 बजकर 34 मिनट से 10 बजकर 58 मिनट तक।

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