सुप्रीम कोर्ट ने 10 डेंटल कॉलेजों पर ठोका 100 करोड़ का जुर्माना- NEET में फेल, फिर भी BDS में एडमिशन! 

NEET परीक्षा देशभर में मेडिकल और डेंटल कोर्स में एडमिशन का एकमात्र आधार है. इसके बावजूद राजस्थान के कुछ प्राइवेट डेंटल कॉलेजों ने साल 2016-17 में 2007 के नियमों को नजरअंदाज करते हुए ऐसे छात्रों को BDS कोर्स में एडमिशन दे दिया, जो तय योग्यता पूरी नहीं करते थे. यह मामला लंबे समय तक अदालत में चला, जिसमें छात्रों और कॉलेजों दोनों की भूमिका पर सवाल उठे.

सुप्रीम कोर्ट ने 10 डेंटल कॉलेजों पर ठोका 100 करोड़ का जुर्माना- NEET में फेल, फिर भी BDS में एडमिशन! 

सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल और डेंटल शिक्षा में नियमों की अनदेखी पर सख्त रुख अपनाते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. अदालत ने राजस्थान के 10 प्राइवेट डेंटल कॉलेजों पर 10-10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. इन कॉलेजों ने NEET 2016-17 में तय मिनिमम मार्क्स हासिल न करने वाले छात्रों को एडमिशन दिया था, जिसे नियमों का साफ उल्लंघन माना गया है. कोर्ट ने इसे शिक्षा के स्तर से सीधा खिलवाड़ बताया है.


NEET परीक्षा देशभर में मेडिकल और डेंटल कोर्स में एडमिशन का एकमात्र आधार है. इसके बावजूद राजस्थान के कुछ प्राइवेट डेंटल कॉलेजों ने साल 2016-17 में 2007 के नियमों को नजरअंदाज करते हुए ऐसे छात्रों को BDS कोर्स में एडमिशन दे दिया, जो तय योग्यता पूरी नहीं करते थे. यह मामला लंबे समय तक अदालत में चला, जिसमें छात्रों और कॉलेजों दोनों की भूमिका पर सवाल उठे.

जस्टिस जे. के. महेश्वरी और विजय बिश्नोई की बेंच ने कहा कि संबंधित कॉलेजों ने जानबूझकर नियमों का उल्लंघन किया, इसलिए उन पर कड़ी कार्रवाई जरूरी है. कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी 10 कॉलेज राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास 10-10 करोड़ रुपये जमा करें. साथ ही राजस्थान सरकार को भी 10 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया गया है. अदालत ने राज्य सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठाए और कहा कि बिना अधिकार के दी गई छूट से यह स्थिति पैदा हुई है.

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि कॉलेजों से वसूली गई कुल 100 करोड़ रुपये की राशि को फिक्स्ड डिपॉजिट में रखा जाएगा. इससे मिलने वाला ब्याज राजस्थान में वन स्टॉप सेंटर, नारी निकेतन, वृद्धाश्रम और बाल देखभाल संस्थानों के रखरखाव, उन्नयन और सुधार के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. कोर्ट ने इसे समाज के कमजोर वर्गों के लिए लाभकारी कदम बताया.
शर्तों के साथ छात्रों को राहत
अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेष अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए उन छात्रों की डिग्री को रेगुलर कर दिया, जिन्होंने गलत तरीके से एडमिशन मिलने के बावजूद अपनी पढ़ाई पूरी कर ली थी. हालांकि, कोर्ट ने साफ किया कि यह राहत शर्तों के साथ दी जा रही है. इन छात्रों को राजस्थान हाईकोर्ट में हलफनामा देना होगा कि वे आपदा, महामारी या अन्य आपात स्थितियों में राज्य सरकार को निःशुल्क सेवाएं देंगे.
निगरानी के लिए हाईकोर्ट में समिति
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया है कि वे पांच जजों की एक समिति गठित करें, जिसमें कम से कम एक महिला जज शामिल हों. यह समिति फिक्स्ड डिपॉजिट से मिलने वाले ब्याज की राशि के सही और प्रभावी उपयोग की निगरानी करेगी, ताकि पैसा सही उद्देश्य पर खर्च हो सके.