शायद आप भी इस बारीकी को नहीं जानते होंगे, 15 अगस्त को राष्ट्रपति नहीं, PM ही क्यों फहराते हैं राष्ट्रीय ध्वज?

भारत के प्रधानमंत्री आजादी के 75 साल पूरे होने पर लाल किले से झंडा फहराएंगे। आज हम आपको एक अलग जानकारी देने जा रहे हैं शायद इसके बारे में आपको मालूम नहीं होगा।

शायद आप भी इस बारीकी को नहीं जानते होंगे, 15 अगस्त को राष्ट्रपति नहीं, PM ही क्यों फहराते हैं राष्ट्रीय ध्वज?

देश की आजादी को 75 साल पूरे होने पर भारत स्वतंत्रता दिवस अमृत महोत्सव मनाने की तैयारियों में जुटा हुआ है. भारत सरकार के द्वारा हर घर तिरंगा अभियान का आयोजन 13 अगस्त से 15 अगस्त तक चलाया जा रहा है । 15 अगस्त ही वह दिन है, जिस दिन भारत ब्रिटिश सरकार की गुलामी से आजादी हुआ था. 15 अगस्त और 26 जनवरी को लेकर लोगों में कंफ्यूजन बना रहता है. इस लेख को पढ़ कर आप 15 अगस्त और 26 जनवरी के अंतर के बारे में जान जाएंगे. 

15 अगस्‍त 1947 को भारत को ब्रिटिश रूल से आजादी मिली थी. इतिहासकारों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि 15 अगस्त को प्रधानमंत्री इसलिए झंडा फहराते हैं क्योंकि जब देश हमारा आजाद हुआ था उस समय देश में कोई  राष्ट्रपति नहीं था। उस समय आजाद भारत के सर्वे सर्वा प्रधान सेवक प्रधानमंत्री ही थे, जिनके द्वारा 15 अगस्त 1947 को झंडा फहराया गया। हालांकि 26 जनवरी 1950 को जब देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में डॉ राजेंद्र प्रसाद को चुना गया, तो वही से गणतंत्र दिवस पर झंडा लहराने की परंपरा शुरू हो गई। आपको बता दें कि 26 जनवरी को हमारी संविधान की स्थापना हुई थी और राष्ट्रपति पूरे राष्ट्र के रक्षक होते हैं, संविधान के सर्वोच्च सैनिक होते हैं ऐसे में गणतंत्र की रक्षा करना राष्ट्रपति की जिम्मेदारी होती है इसलिए 26 जनवरी को राष्ट्रपति झंडा लहराते हैं। वहीं 26 जनवरी 1950 को भारत ने अपना संविधान लागू किया था. यानी इस दिन से भारत सरकार किसी भी अन्‍य बाहरी देश के फैसले या आदेश मानने के लिए बाध्‍य नहीं होगा. इसी संविधान के द्वारा नागरिकों को मौलिक अधिकार मिले थे. गणतंत्र दिवस के दिन राष्ट्रपति के द्वारा राजपथ पर झंडे को फहराया जाता है। उस दिन पूरे देश की संस्कृति को दिखाई जाती है इसके साथ ही साथ हमारी सैन्य ताकत का भी प्रदर्शन किया जाता है। अकाशों में जंगी जहाज सर्कस दिखाती हैं। इस मौके पर कई बार देखा गया है कि किसी देश के प्रधानमंत्री अतिथि के रूप में शामिल भी होते हैं। इस कार्यक्रम में 15 अगस्त के अपेक्षा बैठने के लिए सीटों की संख्या काफी होती है ।

15 अगस्‍त को देश के प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं. इस दिन झंडे को नीचे से रस्सी के माध्यम से ऊपर खींचते है और फिर उसे खोलकर फहराया जाता है. इसे ध्वजारोहण कहते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है क्‍योंकि इस दिन देश को आजादी मिली थी. इसे ही ध्‍वजारोहण कहते हैं. जबकि, 26 जनवरी 1950 को देश पहले से ही आजाद था. इसलिए उस दिन साधारण तरीके से  फहराया जाता है. यानी कि झंडा ऊपर ही बंधा होता है और उसे खोलकर फहराया जाता है. इसे झंडा फहराना कहते है.  

देश 15 अगस्‍त 1947 को आजाद हुआ था. उस समय देश का प्रमुख प्रधानमंत्री ही था. इसलिए पहली बार 15 अगस्‍त 1947 को प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले से ध्वजारोहण किया था. जबकि,  24 जनवरी 1950 को डॉ राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति की शपथ ले चुके थे. इसके बाद देश के संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति थे. इसलिए  26 जनवरी को देश के राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं. इसके अलावा आपको बता दे कि गणतंत्र दिवस पर झंडा राजपथ पर फहराया जाता है.    

ध्‍वज संहिता 2002 के मुताबिक झंडे को सूर्यास्‍त से पहले उतारना होता था. लेकिन अब इस नियम को सरकार ने बदल दिया है. अब आप कभी भी झंडा फहरा सकते है. सूर्यास्‍त के बाद भी झंडे को लगा हुआ रहने दे सकते है.