Netaji death mystery- गुमनामी बाबा की DNA रिपोर्ट देने से केंद्र का इनकार, कहा- विदेशी संबंधों के लिए खतरा
नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर शोध कर रहे कर्नाटक के कोन्नगर निवासी सयाक सेन ने सूचना के अधिकार के तहत केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला से गुमनामी बाबा के डीएनए सैंपल की रिपोर्ट मांगी थी। सीएफएसएल ने उनकी आरटीआई को खारिज कर दिया, यह जवाब देते हुए कि वह तीन कारणों के आधार पर इलेक्ट्रोफेरोग्राम रिपोर्ट साझा नहीं करेगा।
                                नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर शोध कर रहे कर्नाटक के कोन्नगर निवासी सयाक सेन ने सूचना के अधिकार के तहत केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला से गुमनामी बाबा के डीएनए सैंपल की रिपोर्ट मांगी थी। शनिवार को सरकार द्वारा संचालित प्रयोगशाला ने 'गुमनामी बाबा' के डीएनए नमूने पर रिपोर्ट शेयर करने से साफ इनकार कर दिया है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का निधन आज भी एक रहस्य बना हुआ है। कुछ लोगों का मानना है कि जापान में हुए विमान हादसे में उनकी मौत हो गई थी, तो कुछ मानते हैं कि उत्तर प्रदेश के 'गुमनामी बाबा' नेता जी ही थे। हालांकि, ये दावे कितने सच हैं, यह तो किसी को नहीं पता लेकिन हालिया घटनाक्रम गुमनामी बाबा के नेताजी सुभाष चंद्र बोस होने के दावे को और मजबूत करता है।
सयाक सेन ने आरटीआई 24 सितंबर 2022 को दायर की गई थी। गुमनामी बाबा के डीएनए रिपोर्ट की मांग करने वाले शोध छात्र सयाक सेन ने बताया कि केंद्र ने उनकी आरटीआई को खारिज कर दिया और जवाब दिया कि वह तीन कारणों के आधार पर इलेक्ट्रोफेरोग्राम रिपोर्ट शेयर नहीं कर सकते।
आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1) में कहा गया है कि जिसके प्रकटीकरण से संप्रभुता और अखंडता या भारत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। राज्य की सुरक्षा, रणनीतिक, आर्थिक हित। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, सयाक सेन ने कहा कि सीएफएसएल ने उनकी आरटीआई को खारिज कर दिया, यह जवाब देते हुए कि वह तीन कारणों के आधार पर इलेक्ट्रोफेरोग्राम रिपोर्ट साझा नहीं करेगा।
एक इलेक्ट्रोफेरोग्राम वैद्युतकणसंचलन स्वचालित अनुक्रमण द्वारा किए गए विश्लेषण से परिणामों की एक साजिश है। एक इलेक्ट्रोफेरोग्राम डेटा का एक क्रम प्रदान करता है जो एक स्वचालित डीएनए अनुक्रमण मशीन द्वारा निर्मित होता है. वंशावली डीएनए परीक्षण और पितृत्व परीक्षण से परिणाम प्राप्त करने के लिए इलेक्ट्रोफेरोग्राम का उपयोग किया जा सकता है।
सेन ने कहा, “मुझे आधिकारिक तौर पर बताया गया है कि इलेक्ट्रोफेरोग्राम 3 कारणों से नहीं दिया जा सकता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे सार्वजनिक करना भारत की संप्रभुता और विदेशी राज्यों के साथ उसके संबंधों को प्रभावित कर सकता है.” सेन ने अपने आरटीआई में यह भी पूछा कि उत्तर प्रदेश के सुदूर इलाके में रहने वाला एक व्यक्ति भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए इतना मायने क्यों रखता है और अगर उसका इलेक्ट्रोफेरोग्राम सार्वजनिक किया जाता है तो देश में हलचल मच जाएगी।
सेन ने आगे बताया, “स्पष्ट संकेत है कि गुमनामी बाबा एक आम आदमी से कहीं अधिक थे, और विशेष थे. मेरा मानना है कि वह मेरे सभी निष्कर्षों के अनुसार भेष में नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे.”
बता दें ये दावा किया गया कि सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में एक विमान दुर्घटना में हुई थी। हालांकि उस समय लोगों ने दावा किया कि नेताजी दुर्घटना में बच गऔर तत्कालीन ब्रिटिश सरकार से बचने के लिए छिप गए थे। लोगों ने ये भी दावा किया था कि यूपी में रहे रहे गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस हैं।