Gomti Riverfront Scam- सीबीआई करेगी पूछताछ, शिवपाल यादव समेत दो अफसरों पर कस सकता है शिकंजा

योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में मामले की न्यायिक जांच कराई थी. इसमें भारी घपले की पुष्टि होने के बाद मामला सीबीआई के हवाले कर दिया गया था. सीबीआई कई लोगों की इस मामले में गिरफ्तारी कर चुकी है. वहीं अब तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव और दो आईएएस अफसर उसकी जांच के दायरे में आ गये हैं. जांच एजेंसी इनसे पूछताछ करना चाहती है, जिससे मामले में नये तथ्य सामने आ सकें.

Gomti Riverfront Scam- सीबीआई करेगी पूछताछ, शिवपाल यादव समेत दो अफसरों पर कस सकता है शिकंजा

उत्तर प्रदेश राजधानी लखनऊ में समाजवादी सरकार के समय हुए गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में शिवपाल यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इसके साथ ही जांच के दायरे में दो वरिष्ठ नौकरशाहों के भी आने की बात कही जा रही है. सीबीआई इस मामले में इनसे पूछताछ की तैयारी में है. उसने सरकार से नियमानुसार इसकी इजाजत मांगी है, जिससे वह अपनी जांच आगे बढ़ा सके. इसलिए शासन ने निर्णय लेने के लिए सिंचाई विभाग से संबंधित रिकॉर्ड तलब किया है. वर्ष 2017 में सत्ता संभालते ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट की न्यायिक जांच कराई थी. 

योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में मामले की न्यायिक जांच कराई थी. इसमें भारी घपले की पुष्टि होने के बाद मामला सीबीआई के हवाले कर दिया गया था. सीबीआई कई लोगों की इस मामले में गिरफ्तारी कर चुकी है. वहीं अब तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव और दो आईएएस अफसर उसकी जांच के दायरे में आ गये हैं. जांच एजेंसी इनसे पूछताछ करना चाहती है, जिससे मामले में नये तथ्य सामने आ सकें.

गोमती रिवर फ्रंट परियोजना के लिए सपा सरकार ने 2014-15 में 1513 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे. सपा सरकार के कार्यकाल में ही 1437 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए थे. स्वीकृत बजट की 95 फीसदी राशि जारी होने के बावजूद 60 फीसदी काम पूरा नहीं हो पाया। न्यायिक जांच में तो इस परियोजना को भ्रष्टाचार का पर्याय करार दिया गया. परियोजना के लिए आवंटित राशि को ठिकाने लगाने के लिए इंजीनियरों और अधिकारियों ने जमकर खेल किया।

डिफॉल्टर गैमन इंडिया को ठेका देने के लिए टेंडरों की शर्तों में गुपचुप ढंग से बदलाव कर दिया। इन बदलावों को फाइलों में तो दर्ज किया गया, पर उनका प्रकाशन कहीं नहीं कराया गया. बजट को न सिर्फ मनमाने ढंग से खर्च किया गया, बल्कि विजन डाक्युमेंट बनाने तक में करोड़ों का घपला किया गया। इसके लिए न्यायिक जांच रिपोर्ट में परियोजना से जुड़े अधिशासी अभियंता, अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता और प्रमुख अभियंता के अलावा कई आला अधिकारियों को सीधे जिम्मेदार ठहराया गया था.

बता दे केंद्र सरकार द्वारा गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई जांच की संस्तुति करने से पहले योगी सरकार ने मामले की न्यायिक जांच कराई थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति ने जांच में दोषी पाए गए इंजीनियरों और अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए जाने की सिफारिश की थी. इसके बाद 19 जून 2017 को सिंचाई विभाग के अधिशाषी अभियंता डॉ. अंबुज द्विवेदी ने गोमतीनगर थाने में धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था.  बाद में यह जांच सीबीआई को स्थानान्तरित हो गई थी.