25 साल बाद रिक्शा चलाता मिला हत्या का आरोपी, ऐसे फंसा पुलिस के जाल में

आरोपी की पहचान 52 वर्षीय रामू के तौर पर हुई है, जो लखनऊ में नाम बदलकर रिक्शा चलाकर गुजारा कर रहा था। पुलिस अब दूसरे हत्यारोपी की तलाश जारी है। इसमें दिलचस्प बात यह है कि हत्यारोपी रामू की तलाश में मृतक के बेटे ने अपना घर गिरवी रख दिया था। पिता की हत्या के समय वह मां की गर्भ में पल रहा था।

25 साल बाद रिक्शा चलाता मिला हत्या का आरोपी, ऐसे फंसा पुलिस के जाल में

उत्तर जिला पुलिस ने 25 साल से फरार हत्यारोपी को गुरुवार को लखनऊ से गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान 52 वर्षीय रामू के तौर पर हुई है, जो लखनऊ में नाम बदलकर रिक्शा चलाकर गुजारा कर रहा था। पुलिस अब दूसरे हत्यारोपी की तलाश जारी है। इसमें दिलचस्प बात यह है कि हत्यारोपी रामू की तलाश में मृतक के बेटे ने अपना घर गिरवी रख दिया था। पिता की हत्या के समय वह मां की गर्भ में पल रहा था। 

सूत्रों के हवाले से डीसीपी सागर सिंह कलसी ने बताया कि ओखला में वर्ष 1997 को किशन लाल नाम के व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप रामू और उसके साले टिल्लू पर लगा जो घटना के बाद से फरार थे। मई 1997 में अदालत ने उन्हें भगोड़ा भी घोषित कर दिया। डीसीपी ने बताया कि एएटीएस में तैनात हेडकांस्टेबल पुनीत मलिक ने बीते साल रामू की तलाश शुरू की। 

दोनों आरोपी और मृतक दोस्त थे इसलिए पहले मृतक की पत्नी सुनीता की तलाश की गई। सुनीता को तुगलकाबाद से ढूंढ़ा गया। सुनीता ने रामू के भतीजे की पत्नी के बारे में जानकारी दी। जांच में मालूम हुआ कि रामू के भाई-भाभी की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी और बीमा की पूरी रकम अभी तक नहीं मिली है। 

एसआई योगेंद्र, हेडकांस्टेबल पुनीत और हेडकांस्टेबल ओमप्रकाश ने बीमा एजेंट बनकर रामू के भतीजे से संपर्क साधा और परिजनों की सूची मांगी। इस तरह पुलिस टीम को रामू के बेटे आकाश का मोबाइल नंबर मिल गया। तकनीकी जांच में मिले तथ्यों के आधार पर पुलिस लखनऊ पहुंची, जहां रिक्शा चला रहे आरोपी रामू को दबोच लिया। जांच में मालूम हुआ कि रामू वारदात के बाद नाम बदलकर लखनऊ में रह रहा था। बीते वर्षों में उसने अपने बेटों-बेटी की शादी भी कर दी थी।

किशन की जब हत्या हुई तब उसकी पत्नी तीन माह की गर्भवती थी। सुनीता ने बेटे को जन्म दिया। सन्नी बड़ा होकर अपने पिता के हत्यारे की तलाश कर रहा था। उसने हत्यारोपी की तलाश के लिए अपना घर भी गिरवी रख दिया था। वह इन रुपयों से हत्यारोपियों के फर्रुखाबाद में संभावित ठिकाने पर जाया करता था। हालांकि वह आरोपी को ढूंढ़ने में अभी कामयाब नहीं हो पाया था।