यूपी में SIR बनी BJP के लिए चुनौती, शहरी वोटरों को कराया गांव का रुख, 2027 पर असर की आशंका
बीजेपी को वोटरों के मिजाज का डर सता रहा है। दरअसल, कहा जा रहा है कि वोटर तो गांव में शिफ्ट हो जाएंगे, लेकिन मतदान करने गांवों में नहीं जाएंगे। पार्टी नेताओं का कहना है कि शहरी मतदाता आमतौर पर मतदान के दिन कम सक्रिय होते हैं।
उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का पहला चरण समाप्ति की ओर है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी के भीतर चिंता बढ़ती जा रही है, क्योंकि बड़ी संख्या में शहरी मतदाता अपने वोट शहर से हटाकर गांव के पते पर स्थानांतरित कर रहे हैं।
शहरी क्षेत्र लंबे समय से बीजेपी का मजबूत जनाधार रहे हैं, ऐसे में यह बदलाव 2027 के विधानसभा चुनावों पर सीधा प्रभाव डाल सकता है। इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी चिंतित नजर आ रहा है। पिछले दिनों अलीगढ़ में एसआईआर कार्य की समीक्षा के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को चेताया।
उन्होंने कहा कि विपक्षी दल बड़ृी ही चतुराई से एसआईआर प्रक्रिया के दौरान खेल कर रहा है। इससे निपटने के लिए उन्होंने बीजेपी नेताओं, कार्यकर्ताओं, विधायकों और सांसदों को लगने की बात कही।
बीजेपी की चिंता का बड़ा कारण शहरी वोटरों का पलायन है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी का कोर बेस कमजोर होने का डर सता रहा है। बीजेपी को लगातार शहरी क्षेत्रों में अच्छी सफलता मिलती रही है। 2024 लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने 17 शहरी सीटों में से 12 जीतीं।
2022 विधानसभा चुनाव में 86 शहरी सीटों में से 65 उसके खाते में आईं। नगर निकाय चुनाव 2023 में सभी 17 मेयर सीटों पर BJP ने जीत दर्ज की। ऐसे में शहरी वोटर का गांव जाना सीधे तौर पर चुनावी गणित को प्रभावित कर सकता है।
बीजेपी को वोटरों के मिजाज का डर सता रहा है। दरअसल, कहा जा रहा है कि वोटर तो गांव में शिफ्ट हो जाएंगे, लेकिन मतदान करने गांवों में नहीं जाएंगे। पार्टी नेताओं का कहना है कि शहरी मतदाता आमतौर पर मतदान के दिन कम सक्रिय होते हैं।
अगर उन्होंने वोट गांव में शिफ्ट कर लिया, तो वे 50-200 किलोमीटर दूर गांव जाकर वोट डालने की संभावना कम है। इससे बीजेपी को सीधा नुकसान हो सकता है, क्योंकि ये वोटर उसका मजबूत सपोर्ट बेस माने जाते हैं।