निकाय चुनाव- शिवपाल यादव के दरबार में पहुंचने लगे टिकट के दावेदार, अब अखिलेश के आने का इंतजार

शिवपाल लखनऊ पहुंच चुके हैं जिसके बाद से ही निकाय चुनाव को लेकर उम्मीदवारों की भीड़ उनके घर आने लगी है। कहा जा रहा है कि उम्मीदवारों का फैसला सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के दिल्ली से लौटने के बाद होगा।

निकाय चुनाव- शिवपाल यादव के दरबार में पहुंचने लगे टिकट के दावेदार, अब अखिलेश के आने का इंतजार

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का सपा में विलय करने और मैनपुरी सीट पर उपचुनाव जिताने के बाद सपा की राजनीति में शिवपाल सिंह यादव का कद बढ़ गया है। वह प्रमुख भूमिका में आते हुए नजर आ रहे हैं। शिवपाल लखनऊ पहुंच चुके हैं जिसके बाद से ही निकाय चुनाव को लेकर उम्मीदवारों की भीड़ उनके घर आने लगी है। कहा जा रहा है कि उम्मीदवारों का फैसला सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के दिल्ली से लौटने के बाद होगा।

हालांकि, आरक्षण को लेकर प्रदेश में निकाय चुनाव की तस्वीर उलझी हुई है पर इस पर जल्द ही कोर्ट से निर्णय होने की उम्मीद है। टिकटों के दावेदार भी एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। अखिलेश यादव के दिल्ली से लौटने का इंतजार हो रहा है। ऐसे में दावेदार शिवपाल सिंह यादव के दरबार में पहुंच रहे हैं। 

कोई पुराने संबंधों की दुहाई देकर खुद को बेहतरीन उम्मीदवार बता रहा है तो कोई वोट बैंक का हवाला दे रहा है। प्रदेश भर से महापौर, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत अध्यक्ष पद के दावेदार शिवपाल सिंह यादव के कार्यालय में डेरा डाले हुए हैं।

मैनपुरी लोकसभा सीट सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई थी। इस सीट पर डिंपल यादव ने चुनाव लड़ा और करीब तीन लाख वोटों से जीत दर्ज की जो कि ऐतिहासिक है। इस जीत में शिवपाल यादव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उपचुनाव परिणाम आने के दिन ही शिवपाल ने अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का सपा में विलय कर दिया था। इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे हैं कि शिवपाल को सपा में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि अखिलेश खुद शिवपाल को किस भूमिका में रखना चाहेंगे और उन्हें कितने अधिकार संपन्न करेंगे। सपा में दो-दो पावर सेंटर बनने की नौबत न आए, अखिलेश की अपेक्षा तो अपने चाचा से होगी ही। हालांकि शिवपाल उनके नेतृत्व में काम करने, मुख्यमंत्री के तौर पर उन्हें स्वीकार करने, मुलायम के एकमात्र उत्तराधिकारी मानने जैसी बात कह चुके हैं ताकि कोई संशय न रहे पर सपा में एक लाबी इस नए घटनाक्रम को लेकर सहज नहीं दिखती।