राहत: गर्भाशय कैंसर जांच के लिए अब बायोप्सी की जरूरत नहीं, खून का नमूना होगा काफी, वैज्ञानिकों ने किए प्रयोग

तकलीफदेह बायोप्सी व अन्य जांचों के बजाय अब खून के नमूने से ही गर्भाशय कैंसर की पहचान की जा सकेगी

राहत: गर्भाशय कैंसर जांच के लिए अब बायोप्सी की जरूरत नहीं, खून का नमूना होगा काफी, वैज्ञानिकों ने किए प्रयोग

तकलीफदेह बायोप्सी व अन्य जांचों के बजाय अब खून के नमूने से ही गर्भाशय कैंसर की पहचान की जा सकेगी। सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर) लखनऊ के वैज्ञानिकों ने लिक्विड बायोप्सी की विधि ईजाद की है। इससे समय रहते गर्भाशय के कैंसर का पता लगाया जा सकता है। त्वरित जांच से इलाज वक्त पर मिल सकेगा, जिससे जान बचाई जा सकेगी।

सीबीएमआर के वैज्ञानिक डॉ. प्रभाकर यादव और डॉ. हिमांशु चौधरी ने वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आलोक धवन के निर्देशन में खास बायोमार्कर की पहचान की है। दरअसल, कैंसर की कोशिकाएं डीएनए के कतरों को छोड़ती हैं। इन कतरों की मौजूदगी खून में रहती है। इन्हें आसानी से पहचानने के लिए लिक्विड बायोप्सी किट विकसित की जा रही है। इससे सटीकता के साथ गर्भाशय कैंसर के खतरे को समय रहते पहचाना जा सकेगा। 

..इसलिए खास है तैयार की जा रही किट
तैयार की जा रही किट को सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मुहैया कराया जा सकता है। इससे जिन मरीजों में सिर्फ आशंका है, उन्हें जांच के लिए बड़े संस्थानों का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा।


तकलीफदेह जांचों से देर से पकड़ में आता है कैंसर
गर्भाशय कैंसर की जांच की मौजूदा प्रक्रियाएं तकलीफदेह हैं। अभी कैंसर की सटीक पहचान के लिए योनि मार्ग से ट्रांसड्यूसर बैंड डालकर पेल्विक अल्ट्रासाउंड किया जाता है। महिलाएं शर्मिंदगी की वजह से ऐसी जांचों को टालती हैं और तब तक कैंसर एडवांस स्टेज में पहुंच जाता है। पेल्विक अल्ट्रासाउंड के बाद ट्रांसवेजाइनल बायोप्सी व हिस्टेरोस्कोपी जैसी तकलीफदेह जांचें होती हैं। बायोप्सी में कैंसर प्रभावित हिस्से के छोटे टुकड़े को काटकर निकाला जाता है और लैब में कोशिकाओं की जांच होती है। सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन, पीईटी-सीटी स्कैन जैसी एडवांस जांचें भी होती हैं।

तीन लाख की सलाना होती है मौत 
- तीन लाख महिलाओं की औसतन हर साल मौत हो जाती है समय पर गर्भाशय कैंसर की पहचान न हो पाने से।

- चार लाख से अधिक मामले हर साल देश में गर्भाशय कैंसर के आते हैं।
- 75 प्रतिशत केस में देर से कैंसर की पहचान होने से हो जाती है मौत।
- गले और स्तन कैंसर के बाद देश में सबसे ज्यादा मामले गर्भाशय कैंसर के।

लाखों महिलाओं की जान बचाएगी किट
गर्भाशय कैंसर की जांच के लिए विकसित की जा रही लिक्विड बायोप्सी किट लाखों महिलाओं की जान बचाने में कारगर होगी। इससे ट्रांसवेजाइनल जैसी तकलीफदेह जांचों से भी मुक्ति मिलेगी। हमारी सोच है कि भविष्य में यह किट प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक में उपलब्ध हो।- डॉ. आलोक धवन, निदेशक, सीबीएमआर, लखनऊ