उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद के लिए खड़ा हुआ बड़ा सवाल, जीते विधायक ने कही ये बात

जीत के साथ ही पार्टी को बड़ा झटका लगा और वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा विधान सभा सीट से चुनाव हार गए। इसके बाद से मुख्यमंत्री पद को लेकर संकट खड़ा हो गया है. इस बार सबसे बड़ा मिथक सत्ताधारी दल के फिर नहीं जीतने का टूटा है, भाजपा ने शानदार जीत दर्ज करते हुए नया रिकॉर्ड बनाया है।दूसरी तरफ सीएम पुष्कर सिंह धामी की हार से मुख्यमंत्री की हार का मिथक एक बार फिर जिंदा हो गया है। आने वाले चुनावों में इन मिथकों की खूब गूंज रहेगी।

उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद के लिए खड़ा हुआ बड़ा सवाल, जीते विधायक ने कही ये बात

उत्तराखंड में आखिरकार 20 साल का टूटा रिकॉर्ड टूट ही गया है। भाजपा प्रदेश में बहुमत के साथ उत्तराखंड में दोबारा सरकार बनाने जा रही है। हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सीएम पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार गए हैं, लेकिन भाजपा को बहुमत मिला है। इस बार सबसे बड़ा मिथक सत्ताधारी दल के फिर नहीं जीतने का टूटा है, भाजपा ने शानदार जीत दर्ज करते हुए नया रिकॉर्ड बनाया है।दूसरी तरफ सीएम पुष्कर सिंह धामी की हार से मुख्यमंत्री की हार का मिथक एक बार फिर जिंदा हो गया है। आने वाले चुनावों में इन मिथकों की खूब गूंज रहेगी। 

जीत के साथ ही पार्टी को बड़ा झटका लगा और वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा विधान सभा सीट से चुनाव हार गए।  इसके बाद से मुख्यमंत्री पद को लेकर संकट खड़ा हो गया है, लेकिन इस बीच चंपावत सीट से बीजेपी के टिकट पर दूसरी बार जीते कैलाश गहतोड़ी ने पुष्कर सिंह धामी को फिर से मुख्यमंत्री बनाने के लिए अपनी सीट छोड़ने की पेशकश की है। 

जीते हुए पार्टी के विधायक कैलाश गहतोड़ी ने पुष्कर सिंह धामी की तारीफ करते हुए कहा, 'यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं, लेकिन धामी के नेतृत्व में भाजपा ने लगातार दूसरी बार राज्य में अपनी सरकार बनाई है.' 

उन्होंने आगे कहा, 'मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने 6 महीने के दौरान प्रदेश में कई अहम कार्य किए जिसकी बदौलत राज्य में फिर से बीजेपी की सरकार बन रही है. मैं पार्टी से उन्हें फिर से मुख्यमंत्री बनाने की मांग करता हूं. अगर वह सीएम बनते हैं तो उनके लिए मैं अपनी सीट छोड़ने के लिए तैयार हूं.' 

पुष्कर सिंह धामी को अक्सर महाराष्ट्र के राज्यपाल और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी का करीबी माना जाता है. वह कोश्यारी के विशेष कार्याधिकारी  और सलाहकार रहे थे. उन्होंने 1990 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य के रूप में राजनीतिक करियर शुरू किया था. वह दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष चुने गए और उन्होंने स्थानीय युवाओं के लिए उद्योगों में नौकरियों के आरक्षण के लिए अभियान भी चलाया.