काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निमंत्रण पत्र पर विवाद कांग्रेस की ओर से इसे मंदिर नहीं मॉल कहा

सैकड़ों करोड़ की काशी विश्वनाथ सुंदरीकरण और विस्तारीकरण परियोजना के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों लोकार्पण को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है. कांग्रेस की ओर से इसे मंदिर या कॉरिडोर नहीं, बल्कि मॉल बताया जा रहा है. कांग्रेस की ओर से इसे मंदिर नहीं मॉल कहा जा रहा है तो बीजेपी ने भी पलटवार करते हुए कांग्रेस को औरंगजेब की आरती उतारने वाला कह दिया। और विवाद की वजह इस आमंत्रण पत्र में लिखी मुगल आक्रांताओं ने मुगलकाल में विश्वनाथ मंदिर को काफी नुकसान पहुंचाया था।

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निमंत्रण पत्र पर विवाद कांग्रेस की ओर से इसे मंदिर नहीं मॉल कहा

श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण की तैयारी जोरों पर है। 13 दिसंबर को आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे, वहीं कई विशिष्ठ अतिथियों को भी इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निमंत्रण दिया गया है। यूपी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन से पहले ही इसको लेकर विवाद खड़ा हो गया है. इस विवाद की वजह है इसका आमंत्रण पत्र। 

लोकार्पण का निमंत्रण पत्र भी अपने आप में बेहद खास है। इसमें मंदिर के काशी विश्वनाथ मंदिर साढ़े तीन सौ सालों के इतिहास के साथ ही वर्तमान तक की यात्रा का विवरण दर्ज है। और विवाद की वजह इस आमंत्रण पत्र में लिखी मुगल आक्रांताओं ने मुगलकाल में विश्वनाथ मंदिर को काफी नुकसान पहुंचाया था।  कहा जा रहा है कि इस बात को लेकर कुछ लोगो ने अपनी नाराजगी दिखाई है। 

सैकड़ों करोड़ की काशी विश्वनाथ सुंदरीकरण और विस्तारीकरण परियोजना के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों लोकार्पण को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है. कांग्रेस की ओर से इसे मंदिर या कॉरिडोर नहीं, बल्कि मॉल बताया जा रहा है. कांग्रेस की ओर से इसे मंदिर नहीं मॉल कहा जा रहा है तो बीजेपी ने भी पलटवार करते हुए कांग्रेस को औरंगजेब की आरती उतारने वाला कह दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस की तरफ से चुनाव मैदान में कभी वाराणसी में उतरे अजय राय ने बताया कि कॉरिडोर निर्माण के दौरान देवताओं के विग्रहों, वटवृक्ष को भी हटा दिया गया. इन चीजों को ध्वस्त करके आधुनिक तरह से मॉल बना रहें हैं. यह मंदिर का स्वरुप नहीं, बल्कि मॉल का स्वरुप है.  काशी में लोग मॉल में नहीं, बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने आते हैं, अध्यात्म और शांति की तलाश और धर्म-कर्म के लिए में आते है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ मंदिर का उद्घाटन करेंगे. इस कार्यक्रम में देश भर से 3 हजार लोगों के शामिल होने की बात कही जा रही है। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद ने निमंत्रण पत्र मिलने पर कहा 
"इस निमंत्रण पत्र के मिलने के बाद मैं स्वयं को सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूं. क्योंकि अयोध्या शिलान्यास का भी साक्षी रहा और काशी विश्वनाथ लोकार्पण का भी साक्षी बनने का सुअवसर मिल रहा है।"

बाबा के धाम के लोकार्पण पर शिव की नगरी काशी जगमग होगी और शहर से गांव तक हर चौखट पर दीपमालिकाएं सजेंगी। शिव की नगरी में श्रद्धालु बाबा के धाम के लोकार्पण के उत्सव को भव्य बनाने की तैयारियों में जुटे हुए हैं। धाम के लोकार्पण के साथ ही 13 दिसंबर से तीन दिवसीय शिव दीपोत्सव की शुरुआत हो जाएगी। 

भाजपा काशी क्षेत्र के अध्यक्ष महेश चंद श्रीवास्तव ने शुक्रवार को काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण और मास पर्यंत चलने वाले कार्यक्रमों की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा 13 दिसंबर को पीएम नरेन्द्र मोदी के हाथों काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण अलौकिक, अद्भुत और अकल्पनीय होगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने पार्टी स्तर पर कई कार्यक्रमों की कार्ययोजना बनाई है। ये एक महीने तक पूरे देश में आयोजित किए जाएंगे। 

13 दिसंबर को आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे, वहीं कई विशिष्ठ अतिथियों को भी इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निमंत्रण दिया गया है। लोकार्पण का निमंत्रण पत्र भी अपने आप में बेहद खास है। इसमें मंदिर के काशी विश्वनाथ मंदिर साढ़े तीन सौ सालों के इतिहास के साथ ही वर्तमान तक की यात्रा का विवरण दर्ज है।

इस निमंत्रण पत्र में लिखा है-

वाराणसी देवाधिदेव महादेव भगवान शिव की नगरी के रूप में पूरे जगत में विख्यात है। इसे सामान्य श्रद्धालु काशी के रूप में भी जानते हैं।

मान्यता है कि भगवान शिव आज भी साक्षात काशी में विराजमान हैं। यहां मोक्षदायनी मां गंगा के दर्शन भी सुलभ हैं। सनातन हिंदू धर्म के केंद्र के रूप, बौद्ध और जैन पंथों के सिद्धों के साथ-साथ संतों, योगियों और कालांतर में शिक्षाविदों ने अपनी साधना और सिद्धि का केंद्र वाराणसी को बनाया।

काशी में विराजमान बाबा विश्वनाथ का ज्योर्तिलिंग द्वादश ज्योर्तिलिंग में प्रमुख स्थान पर है। मध्यकाल में मुगलों ने इस पावन स्थल को भारी क्षति पहुंचाई थी। सन 1777-78 ई. में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने मंदिर परिसर का पुर्ननिर्माण कराया था। कालांतर में 19वीं सदी में महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर पर स्वर्ण शिखर लगवाया था।  
लगभग 200 वर्षों के बाद भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो संसद में काशी लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व भी करते हैं, उनके द्वारा काशी की पुरातन आत्मा को संरक्षित रखते हुए नए कलेवर में श्री काशी विश्वनाथ धाम परिसर के नवनिर्माण को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया गया है। नवीन श्रीकाशी विश्वनाथ धाम परिसर उन्हीं परिकल्पनाओं का मूर्त रूप है।

श्री काशी विश्वनाथ धाम का शुभ लोकार्पण कार्यक्रम माननीय प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों से पूज्य संतों और धर्माचार्यों की उपस्थिति में 13 दिसंबर, 2021 (विक्रम संवत 2078 मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष दशमी तिथि) को होने जा रहा है। अत: इस शुभ अवसर पर आपकी गरिमामयी उपस्थिति प्रार्थनीय है। कृपया पधारकर अनुगृहीत करने का कष्ट करें।

निमंत्रण पत्र में लिखी बातों पर स्वामी जितेन्द्रानंद ने कहा कि ये बातें प्रधानमंत्री मोदी के गुलामी की जंजीरों से निकले भारत की आत्मा को दर्शाने की कला है. हम सिर्फ विकास के ही मामले में नही बल्कि धर्म, संस्कृति के मामले में भी दुनिया के सामने भारत के गौरवशाली इतिहास को अनुभव कर सकें और हम सर उठाकर जी सकें. सिर्फ हमारे जीवन में रोटी, कपड़ा और मकान ही नहीं सम्मान भी जीवन का हिस्सा है ।

अपने दो दिवसीय दौरे के पहले दिन सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे पहले वाराणसी आगमन पर बाबा कालभैरव के दर्शन करेंगे फिर गंगा में जलमार्ग से होते हुए विश्वनाथ मंदिर पहुंचकर बाबा विश्वनाथ का पूजन-अर्चन और जलाभिषेक करेंगे। 
इसके बाद वे कॉरिडोर का उद्घाटन मंदिर चौक में करेंगे. इस दौरान मंदिर में पीएम के साथ देश भर से आए 3 हजार संत महात्मा और गणमान्य मौजूद रहेंगे. इसी दिन पीएम और सीएम योगी और देश के अलग अलग राज्यों से आए मुख्यमंत्रियों के साथ वापस गंगा घाट से उतरकर क्रूज पर सवार होकर गंगा आरती को निहारने जाएंगे. तब एक  बार फिर देव दीपावली की तर्ज पर सभी गंगा घाटों पर दीपमालाओं का नजारा होगा. पूरे देश में विश्वनाथ धाम के उद्घाटन को 15444 मंडलों में 51 हजार स्थानों पर इसका लाइव टेलीकास्ट भी होगा।