रक्षाबंधन के बाद कलाई से उतारकर फेंक देते हैं राखी? सावधान भूल से भी न करें ये गलती, जानिए क्या है नियम
रक्षाबंधन के बाद भी भाई को राखी को ऐसे ही नहीं फेंकना चाहिए. इसे दोष लगता है. यह बहुत ही अशुभ माना जाता है. इससे बचने के लिए भाईयों का राखी उतारने जुड़े नियमों का पालन जरूर करना चाहिए. मान्यता है कि राखी बांधने और उतारने से जुड़े नियमों का जरूर पालन करना चाहिए. आइए जानते हैं ज्योतिष विज्ञान (Astrology) के अनुसार राखी बांधने और उतारने के क्या हैं नियम.
भाई और बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक रक्षाबंधन इस साल दो दिन यानी 30 और 31 अगस्त को मनाया जाएगा. यह त्योहार सावन की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता हैै. रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं.
वहीं भाई बहन को जीवन भर रक्षा का वचन देता है. भाई बहनों के प्यार को नजर से बचाने और इसे अटूट बनाने के लिए बहनें भाईयों की कलाई पर राखी बांधती हैं. ज्योतिष की मानें तो प्रेम और रक्षा के वचन से जुड़े इस धांगे का बड़ा मान होता है. रक्षाबंधन के बाद भी भाई को राखी को ऐसे ही नहीं फेंकना चाहिए. इसे दोष लगता है. यह बहुत ही अशुभ माना जाता है.
इससे बचने के लिए भाईयों का राखी उतारने जुड़े नियमों का पालन जरूर करना चाहिए. मान्यता है कि राखी बांधने और उतारने से जुड़े नियमों का जरूर पालन करना चाहिए. आइए जानते हैं ज्योतिष विज्ञान के अनुसार राखी बांधने और उतारने के क्या हैं नियम.
कहते है कि राखी को बांधने से लेकर उतारते समय नियमों का पालन करने पर संबंधों में प्यार बढ़ता है. जीवन में मधुरता आती है. यही वजह है कि राखी उतारने से लेकर उसे रखने के लिए इन नियमो को जरूर जानना चाहिए.
रक्षाबंधन के बाद राखी उतारने का ये है नियम
रक्षाबंधन पर बहनें भाई को बहुत ही प्यार से राखी बांधते हैं. इसे भाई बहन का प्यार और मजबूत होता है. ऐसे में भाईयों को राखी उतारने पर इधर उधर नहीं फेंकनी चाहिए. इसका रिश्तों पर विपरित प्रभाव पड़ सकता है. ऐसे में अगर आपकी राखी अपने आप खुल भी जाती हैं तो उसे संभाल कर रखें. उसे इधर उधर फेंकना अशुभ होता है.
खुलने के बाद यहां रखनी चाहिए राखी
रक्षाबंधन के बाद राखी खुलने पर उसे इधर उधर फेंकने की जगह एक लाल रंग के कपड़े में रख लें. इसे कपड़े में बांधकर ऐसी जगह रखें, जहां घर में भाई बहनों से जुड़ा सामान रखा हुआ है. इसके बाद अगला रक्षा बंधन आने के बाद बहन से राखी बंधवाएं. पुरानी वाली राखी को बहते हुए पानी में प्रवाह कर दें. ऐसा करने से बहन भाईयों का रिश्ता मजबूत होता है.
खंडित राखी को भी न फेंके
कुछ लोग रखी के कलाई से खुद टूटने पर उसे फेंक देते हैं. या फिर किसी भी जगह पर रख देते हैं. ऐसा करना ज्योतिष नियमों अनुसार, अशुभ माना गया है. ऐसे में खंडित राखी कहीं फेंकने या पड़ा हुआ छोड़ने की जगह पर जल में अर्पित कर दें. इसे किसी पेड़ की जड़ में भी रख सकते हैं. साथ में 1 रुपये सिक्का भी जरूर रखें.
आप कर सके तो राखी बहन का बांधा हुआ रक्षा सूत्र होता जिससे भाई की हर स्थिति में रक्षा होती है. ऐसे में त्यौहार चले जाने के बाद भी इसे संभालकर रखना चाहिए. इसे अगले साल के रक्षाबंधन के त्यौहार तक सुरक्षित रखें. फिर अगले साल जब रक्षाबंधन में बहन राखी बांधे तो इस राखी को जल में प्रवाहित कर दें.
रक्षा बंधन पर भाई की कलाई पर शुभ मुहूर्त और सही तरीके से राखी बांधने का विशेष महत्व है. राखी की थाली में कौन-कौन सी सामग्री का होना जरूरी है और राखी बांधने का सही तरीका क्या है जानने के लिए पढ़ें.भाई की कलाई पर राखी बांधने का सही तरीका क्या है और राखी बांधते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है?
Raksha Bandhan राखी बांधने से पहले जरूर करें ये काम
थाली में रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षासूत्र और दही रखें
घी का एक दीपक भी रखें, जिससे भाई की आरती करें
रक्षा सूत्र और पूजा की थाली सबसे पहले भगवान को समर्पित करें.
Raksha Bandhan राखी बांधते समय पढ़ें ये मंत्र
ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:
तेन त्वामभि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल
बहना ने भाई के कलाई से प्यार बांधा है, रेशम की डोरी से संसार बंधा है। राखी के इस गीत में रक्षाबंधन का संपूर्ण रहस्य समाहित है। बहन इस त्योहार के दिन भाई की कलाई पर रेशम की डोरी बांधती है जिनमें संपूर्ण संसार का स्नेह और प्रेम समाहित होता है।
इस प्रेम के धागे की पवित्रता में पूरा संसार बंध जाता है जैसे त्रिलोकी को जीत लेने वाला राजा बली देवी लक्ष्मी की राखी के धागे से स्नेह डोर में बंध गए। इसी राखी से देवी लक्ष्मी ने जगत के स्वामी भगवान विष्णु को राजा बलि से मुक्त करवा लिया। इसी परंपरा को हर बहन आज भी निभाती है और सावन पूर्णिमा के दिन भाई की कलाई में रंग-बिरंगी राखी बांधती है।
इस राखी के द्वारा बहनें अपने भाई को सुखी और लंबी आयु का आशीर्वाद देती है। वैसे तो बहनें बस श्रद्धा भाव से राखी बांध दे तो यह भी काफी होता है लेकिन इसकी शास्त्रीय विधि और परंपरा भी है जिसके द्वारा राखी बांधना अधिक प्रभावी और शुभ हो सकता है।
Raksha Bandhan राखी बांधने की सही विधि
राखी बांधने की शास्त्रीय विधि और मंत्र
राखी के दिन सबसे पहले स्नान करके पवित्र होना चाहिए और देवताओं को प्रणाम करना चाहिए। कुल देवी और देवताओं का आशीर्वाद जरूर लें।
चांदी, पीतल या तांबे की थाली में राखी, अक्षत, रोली या सिंदूर एक छोटी कटोरी में रखें और जल या इत्र से गीला कर लें।
राखी की थाल को पूजा स्थल में रखें और सबसे पहली राखी बाल गोपल या अपने ईष्ट देवता को अर्पित करें। भगवान से प्रार्थना करें।
राखी बंधते समय भाई का मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इससे आपकी राखी को देवताओं का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
राखी बंधवाते समय भाईयों को सिर पर रुमाल या कोई स्वच्छ वस्त्र रखना चाहिए।
बहन सबसे पहले भाई के माथे पर रोली या सिंदूर का टीका लगाएं।
टीका के ऊपर अक्षत लगाएं और आशीर्वाद के रूप में भाई के ऊपर कुछ अक्षत छींटें।
भाई की नजर उतारने के लिए दीप से आरती दिखाएं। कहीं-कहीं बहनें अपनी आंखों का काजल भी भाई को लगाती हैं।
भाई की दायीं कलाई में राखी का पवित्र धागा, मंत्र बोलते हुए बांधे। इससे राखी के धागों में शक्ति का संचार होता है।
भाई बहन एक दूसरे को मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराएं।
अगर भाई बड़ा हो तो बहनें भाई के चरण स्पर्श करें, बहनें बड़ी हों तो भाईयों को बहनों के चरण छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए।
भाई वस्त्र, आभूषण या धन देकर बहन के सुखी जीवन की कामना करें।
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