Aditya L1: ISRO के आदित्य L1 की हुई सफल लॉन्चिंग, लैगरेंज पॉइंट से सूर्य की करेगा स्टडी

सूर्य की स्टडी के लिए ISRO ने अपने पहले का आगाज कर दिया है. ISRO की ओर से सूर्य की स्टडी के लिए अपना पहला मिशन भेज दिया है. आदित्य L1 नाम के इस मिशन को PSLV-C57 रॉकेट से सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर श्री श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया.

Aditya L1: ISRO के आदित्य L1 की हुई सफल लॉन्चिंग, लैगरेंज पॉइंट से सूर्य की करेगा स्टडी

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद सूर्य की स्टडी के लिए ISRO ने अपने पहले का आगाज कर दिया है. ISRO की ओर से सूर्य की स्टडी के लिए अपना पहला मिशन भेज दिया है. आदित्य L1 नाम के इस मिशन को PSLV-C57 रॉकेट से सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर श्री श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया.

4 महीने बाद शुरू होगी स्टडी

यह स्पेसक्राफ्ट लॉन्च होने के बाद करीब 4 महीने बाद यानी 109 दिन के बाद लैगरेंज पॉइंट-1 (L1) तक जाएगा और वहीं से यह सूर्य की स्टडी करेगा. इस पॉइंट की खास बात ये है कि यहां पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता है जिससे स्पेसक्राफ्ट को अपना काम करने में कोई कठिनाई नहीं होगी. 378 करोड़ रुपए मिशन की अनुमानित लागत बताई जा रही है. 

भारत में ही बने हैं पेलोड

आदित्य L-1 अपने इस मिशन पर रहते हुए सूरज से जुड़े कई पहलुओं की स्टडी करेगा. आदित्य L-1 सूर्य के अलग अलग तरंग बैंडों में प्रकाशमंडल के साथ ही क्रोमोस्फीयर व सूर्य की सबसे बाहरी परतों की स्टडी करेगा. वह सात पेलोड ले गया जोकि अपने ही देश में बनाए गए हैं. इन पेलोड में बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) के बनाए गए विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ पेलोड (VELC), इसके अलावा पुणे स्थित इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) के बनाए गए सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUET) को भी जोड़ा गया है. एक्स-रे पेलोड, पार्टिकल डिटेक्टर व मैग्नेटोमीटर पेलोड भी आदित्य L-1  से जुड़े हुए हैं. 

बता दे कि इन देशो ने अब तक किए है उपग्रह लांच -

अमेरिका का मिशन सोलर
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 2018 अगस्त में पार्कर सोलर प्रोब लांच किया था. दिसंबर 2021 तक पार्कर ने सूर्य के ऊपरी वायुमंडल कोरोना, उसके कणों और चुंबकीय क्षेत्रों की अहम जानकारी हासिल की. यह पहली बार था जब किसी अंतरिक्ष यान ने सूर्य को स्पर्श किया था.

यूरोप का सोलर मिशन
नासा ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) संग सोलर ऑर्बिटर फरवरी 2020 में भेजा था, ताकि सूर्य ने पूरे सौर मंडल में लगातार बदलते अंतरिक्ष वातावरण को कैसे बनाया और कैसे संभाला, यह पता लगाया जा सके.

जापान का सौर मिशन
जापानी एयरोस्पेस एक्स्प्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने 1981 में पहला सौर यान हिनोटोरी (ASTRO-A) लांच किया था. इससे एक्सरे से सौर ज्वाला का अध्ययन किया. JAXA ने 1991 में योहकोह (SOLAR-A), 1995 में अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ सोहो और 1998 में NASA के साथ ट्रांजिट रीजन और कोरोनल एक्सप्लोरर (TRACE)को लांच किया था. उसने 2006 में हिनोड सोलर मिशन लांच किया था.

यूरोप का महामिशन
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ईएसए ने सूर्य के सुदूर ध्रुव के ऊपर और नीचे अंतरिक्ष के वातावरण के अध्ययन के लिए यूलिसिस लांच किया था. NASA और JAXA साथ ESA ने अक्तूबर 2001 में Proba 2 भेजा था. प्रोबा-2 ने सूर्य की सतह के बारे में अहम जानकारियां जुटाईं.

चीन भी पीछे नहीं
चीन ने स्पेस सोलर आर्ब्जवेटरी को 8 अक्तूबर 2022 को राष्ट्रीय अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र चीनी विज्ञान अकादमी से लांच किया था.