श्री अयोध्या जी में दीपोत्सव आज 51 घाटों पर दीपोत्सव और 24 लाख 60 हजार दिये जलाकर बनेगा विश्व रिकॉर्ड

दीपोत्सव के लिए अयोध्या रोशनी से नहा उठी है। ऐसी सजावट हुई है कि मानो देवलोक पृथ्वी पर उतर आया हो। चमचमाती सड़कें, एक रंग में रंगे भवन और आकर्षक लाइटिंग के साथ रामकथा आधारित 15 तोरणद्वार और कई स्वागत द्वार अयोध्या की शोभा बढ़ा रहे हैं। 

श्री अयोध्या जी में दीपोत्सव आज 51 घाटों पर दीपोत्सव और 24 लाख 60 हजार दिये जलाकर बनेगा विश्व रिकॉर्ड

यदि कण-कण में अनुष्ठान की अनुभूति करनी हो तो रामकी पैड़ी आइए, जहां स्वयंसेवक एक-एक दीप को मंदिर की भांति सज्जित करतक दिखक। अनुशासन में बंधे, श्रद्धावनत और उल्लास से भरे स्वयंसेवकों की प्रतिबद्धता से दीपोत्सव के नए संकल्प ने आकार लिया है।

दीपोत्सव के लिए अयोध्या रोशनी से नहा उठी है। ऐसी सजावट हुई है कि मानो देवलोक पृथ्वी पर उतर आया हो। चमचमाती सड़कें, एक रंग में रंगे भवन और आकर्षक लाइटिंग के साथ रामकथा आधारित 15 तोरणद्वार और कई स्वागत द्वार अयोध्या की शोभा बढ़ा रहे हैं। 

शनिवार को दीपोत्सव में 21 लाख दीप केवल राम की पैड़ी पर जलाने की तैयारी है जोकि एक विश्व रिकॉर्ड भी साबित होगा। इस रिकॉर्ड को हासिल करने के लिए 3 लाख 60 हजार दिये अतिरिक्त भी जलाएं जाएंगे ताकि दीपमाला अनवरत रहे। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने इस बार दिवाली को ऐतिहासिक बनाने के लिए बड़ा निर्णय लिया है। आज यानी 11 तारीख को होने वाले अयोध्या दीपोत्सव में 21 लाख दीयों को सफलतापूर्वक प्रज्ज्वलन करने का रिकॉर्ड बनाया जाएगा। इसके लिए सभी तैयारियां कर ली गई हैं। आज रामनगरी में 24 लाख दीए प्रज्ज्वलित किए जाएंगे। 

शनिवार को शाम होते ही जैसे ही रामलला के दरबार में पहला दीप जलेगा, पूरी अयोध्या जगमग हो उठेगी। भगवान श्रीराम पुष्पक विमान रूपी हेलीकॉप्टर से अयोध्या पधारेंगे। सीएम योगी व राज्यपाल आनंदी बेन पटेल उनकी अगवानी करेंगे। 

इसके बाद सीएम योगी वशिष्ठ की भूमिका में श्रीराम का राजतिलक करेंगे। इस आयोजन का साक्षी बनने के लिए रामकथा पार्क में करीब पांच हजार अतिथि मौजूद रहेंगे। इस बार सरयू पुल पर ग्रीन पटाखों की आतिशबाजी 20 मिनट तक होगी। इस पर करीब 80 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री सहित अन्य अतिथि सरयू तट से आतिशबाजी निहारेंगे। अगर रामनगरी के निवासियों के उल्लास की बात करें तो लंका विजय के बाद श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में उन्होंने उसी तर्ज पर अपने घरों को सजाया है जैसा त्रेता युग में सजावट की गई थी। घरों व दुकानों की दरों-दीवारों पर रामकथा व शुभता के प्रतीकों को चित्रित किया है।